नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुधवार को कहा कि वह नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 6ए की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 17 अक्टूबर से सुनवाई शुरू करेगा. भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि इस मामले में 10 जनवरी 2023 को प्रक्रियात्मक निर्देश पहले ही जारी किए जा चुके हैं.
पीठ ने कहा कि मामले में नियुक्त दो नोडल वकीलों ने एक सामान्य संकलन तैयार किया है और इसे 22 अगस्त 2023 को जारी एक परिपत्र के अनुरूप लाने की जरूरत है, ताकि विशेष रूप से संविधान पीठ के समक्ष मामलों में सॉफ्ट कॉपी दाखिल करने को सुव्यवस्थित किया जा सके. शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई 17 अक्टूबर से तय की है. केंद्र और असम सरकार ने तर्क दिया है कि धारा 6ए वैध है और अदालत से याचिकाएं खारिज करने का आग्रह किया है. धा
रा 6ए के तहत 1 जनवरी 1966 से पहले असम में प्रवेश करने वाले और सामान्य रूप से निवासी विदेशियों के पास भारत के नागरिकों के सभी अधिकार और दायित्व होंगे. इसके अलावा जो लोग 1 जनवरी 1966 और 25 मार्च 1971 के बीच राज्य में आए थे उनके पास समान अधिकार और दायित्व होंगे, सिवाय इसके कि वे 10 वर्षों तक मतदान नहीं कर सकेंगे. धारा 6ए, राजीव गांधी सरकार द्वारा असम आंदोलन के नेताओं के साथ 15 अगस्त 1985 को हस्ताक्षरित असम समझौते नामक समझौता ज्ञापन को आगे बढ़ाने के लिए 1955 अधिनियम में डाला गया एक विशेष प्रावधान है.
दावा किया गया है कि यह धारा असमिया संस्कृति, विरासत, भाषाई और सामाजिक पहचान को संरक्षित और संरक्षित करने के लिए डाली गई थी. बता दें कि 2015 में शीर्ष अदालत की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने मामले को संविधान पीठ को भेज दिया था. शीर्ष अदालत ने दिसंबर 2014 में धारा 6ए की संवैधानिकता के खिलाफ उठाए गए विभिन्न मुद्दों को शामिल करते हुए 13 प्रश्न तैयार किए थे.
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