नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सशस्त्र बल अधिकरण (एएफटी) से कहा कि वह स्थायी कमीशन के लिए दावा खारिज करने के फैसले को चुनौती देने वाले नौसैन्य अधिकारियों की याचिकाओं पर निर्णय करे और पेंशन लाभ उपलब्ध कराए. न्ययालय ने कहा कि हमें एक राष्ट्रीय संस्थान के रूप में कानून के अनुक्रम का पालन करना होगा.
शीर्ष अदालत ने कहा कि महिला अधिकारियों को सेना और नौसेना में स्थायी कमीशन प्रदान करने के लिए उसके द्वारा तय किए गए कानून का सिद्धांत समान रूप से पुरुष अधिकारियों के मामले में भी लागू होगा और कोई भेदभाव नहीं होगा.
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने विभिन्न याचिकओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि सशस्त्र बल अधिकरण (एएफटी) पुरुष और महिला अधिकारियों के आवेदनों पर 31 अक्टूबर तक निर्णय करेगा.
पीठ ने याचिकार्ताओं से कहा, 'यदि आप एएफटी के शिकायत समाधान से संतुष्ट न हों तो आप हमेशा उच्चतम न्यायालय आ सकते हैं. हम संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत व्यक्तिगत मामलों पर विचार नहीं कर सकते, खासकर तब जब उच्चतम न्यायालय ने कानून का सिद्धांत तय कर दिया है. हमें एक राष्ट्रीय संस्थान के रूप में कानून के अनुक्रम का पालन करना होगा.'
शीर्ष अदालत ने कहा कि वह नौसेना के अधिकारियों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ताओं के इन अभिवेदनों से सहमत है कि ये महत्वपूर्ण मुद्दे हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या उच्चतम न्यायालय इन व्यक्तिगत मामलों पर अनुच्छेद 32 के तहत विचार करने के लिए अपने द्वार खोलेगा.
पीठ ने कहा, 'हम पूर्व के आदेशों में दिए गए आपके संरक्षण को जारी रखेंगे और एएफटी से आग्रह करते हैं कि इन आवेदनों पर तेजी से निर्णय करे. उच्चतम न्यायालय को अपने निर्णयों के परिणामों पर विचार करना चाहिए. हमें अपने निष्कर्षों पर अटल रहना चाहिए और कानून के अनुशासन का पालन करना चाहिए.'
शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि एएफटी की विभिन्न शाखाओं में दायर स्थायी कमीशन से संबंधित आवेदनों को एएफटी की दिल्ली में स्थित प्रधान पीठ को स्थानांतरित किया जाना चाहिए.