नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आठ जुलाई को जमानत पाने वाले 13 कैदियों को रिहा करने में उत्तर प्रदेश के अधिकारियों की ओर से देरी का स्वत: संज्ञान लिया है. इन कैदियों को शीर्ष अदालत ने जमानत दी थी.दोषी हत्या के एक मामले में आगरा जेल में 14 से लेकर 22 साल से बंद हैं. वे जुर्म के समय किशोर थे.
तेरह दोषियों ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था और दावा किया था कि उनकी हिरासत अवैध है, क्योंकि फरवरी 2017 और मार्च 2021 के बीच विभिन्न अंतराल पर उनमें से प्रत्येक के मामले में किशोर न्याय बोर्ड ने स्पष्ट आदेश पारित किए थे, जिसमें उन्हें हत्या के समय किशोर घोषित किया गया था.
शीर्ष अदालत ने आठ जुलाई को उन्हें अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था और उत्तर प्रदेश सरकार को उनके किशोर होने के आदेश के बावजूद जेल में निरंतर रहने के तथ्यों को सत्यापित करने के लिए समय दिया था.
प्रधान न्यायाधीश एन वी रमना ने उन रिपोर्ट का संज्ञान लिया है जिनमें कहा गया है कि उन दोषियों को जमानत देने के बावजूद अब तक रिहा नहीं किया गया है, जिनकी अपराध के समय किशोरता स्थापित हो चुकी है.
जमानत मिलने के बाद दोषियों को रिहा करने में देरी शीर्षक से 13 जुलाई को नए मामले का स्वत: संज्ञान लिया गया जिसपर शुक्रवार को प्रधान न्यायाधीश, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ सुनवाई करेगी.