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Published : Mar 31, 2022, 1:15 PM IST

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सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु में वन्नियारों के लिए 10.5 फीसदी आरक्षण किया खत्म

तमिलनाडु सरकार द्वारा दिए गए वन्नियार समुदाय को 10.5 प्रतिशत आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट ने समाप्त कर दिया.

सुप्रीम कोर्ट
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को तमिलनाडु में सबसे पिछड़ा समुदाय वन्नियार को सरकारी नौकरियों एव शिक्षण संस्थानों में 10.5 फीसदी आरक्षण देने के फैसले पर रोक लगा दी है. न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने मद्रास उच्च न्यायालय के उस आदेश को बरकरार रखा जिसमें आरक्षण को रद्द कर दिया गया था. कोर्ट ने कहा कि हमारी राय है कि वन्नियाकुल क्षत्रियों को एक समूह में वर्गीकृत करने का कोई पर्याप्त आधार नहीं है, जिसे एमबीसी समूहों के भीतर शेष 115 समुदायों से अलग माना जाता है और इसीलिए अधिनियम 2021 संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 का स्पष्ट उल्लंघन है.

पीठ ने कहा कि इसके मद्देनजर हम हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हैं. तमिलनाडु विधानसभा ने फरवरी 2021 में तत्कालीन सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक-पायलट विधेयक पारित किया था जिसमें वन्नियारों के लिए 10.5 प्रतिशत का आंतरिक आरक्षण प्रदान किया गया था, जिसके बाद डीएमके सरकार ने जुलाई 2021 में इसके कार्यान्वयन के लिए एक आदेश जारी किया था. इसने जातियों को पुनर्समूहित करके एमबीसी और गैर-अधिसूचित समुदायों के लिए कुल 20 प्रतिशत आरक्षण को तीन अलग-अलग श्रेणियों में बांट दिया था और वन्नियारों के लिए 10 प्रतिशत से अधिक उप-कोटा प्रदान किया था, जिसे पहले वन्नियाकुला क्षत्रियों के नाम से जाना जाता था.

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