नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (Supreme court) ने असम के बाघजन तेल के कुएं में आग लगने की घटना में संबंधित व्यक्तियों की नाकामियों के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराने के वास्ते छह सदस्यीय नयी समिति गठित करने के राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के आदेश पर बृहस्पतिवार को रोक लगा दी.
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूंड (Justice DY Chandrachund) और न्यायमूर्ति एम आर शाह (Justice M R Shah) की पीठ ने इसके साथ ही वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, पेट्रोलियम मंत्रालय, ओआईएल इंडिया और अन्य को नोटिस जारी करके उन्हें याचिका पर जवाब देने का निर्देश दिया है.
उच्चतम न्यायालय ने अधिकरण के आदेश पर अचरज व्यक्त करते हुए कहा कि ऑयल इंडिया लिमिटेड (OIL) पर वेटलैंड को प्रदूषित करने के आरोप हैं, लेकिन उसने कंपनी के प्रबंधन निदेशक को जांच समिति का सदस्य बनाया गया है. पीठ ने कहा, 'जिस प्रकार से एनजीटी ने इस मुद्दे को अपने हाथ से जाने दिया है, हम उस तरीके से बेहद निराश हैं. यह राष्ट्रीय अधिकरण है. इसे ऐसा नहीं करना चाहिए.'
न्यायालय ने 19 फरवरी के अधिकरण के आदेश पर रोक लगाते हुए कहा कि ओआईएल असम के बाघजन तेल कुएं में आग लगने की घटना का दोषारोपण ठेकेदार पर करके और संबंधित व्यक्तियों की जिम्मेदारी तय करने के लिए छह सदस्यीय नयी समिति का गठन करके अपनी जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकता.
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