नई दिल्ली :न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने रेखांकित किया कि आरोपी के वकील ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के समक्ष सजा को चुनौती नहीं दी बल्कि सजा कम करने का तर्क दिया और राज्य सरकार की ओर से पेश वकील ने सजा घटाने के अनुरोध का विरोध नहीं किया.
शीर्ष अदालत ने उत्तराखंड सरकार द्वारा मामले में दाखिल याचिका को खारिज करते हुए चेतावनी दी कि अगर राज्य इस अदालत में और गैरजरूरी याचिका दायर करने की कोशिश करता है तो इसकी अनुमति देने वाले जवाबदेह अधिकारी के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है.
पीठ ने कहा, ‘यह देखना परेशान करने वाला है कि ऐसे मामले जहां पर राज्य के वकील ने सजा को कम करने का विरोध तक नहीं किया और उच्च न्यायालय ने तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए फैसले में मामूली संशोधन किया, वहां राज्य ने इस अदालत का दरवाजा खटखटाया और बिना न्यायोचित तथ्य दिए विशेष अनुमति याचिका के तौर पर सुनवाई की अनुरोध किया.’