नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए राष्ट्रीय डाटाबेस (एनडीयूडब्ल्यू) तैयार करने में केंद्र के रवैये को उदासीन बताते हुए मंगलवार को इसे अक्षम्य करार दिया और 31 जुलाई तक इसे शुरू करने का आदेश दिया ताकि इस वर्ष सभी प्रवासी श्रमिकों का पंजीकरण हो जाए और उन्हें कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिल सके.
शीर्ष अदालत ने प्रवासी श्रमिकों के लिए कल्याणकारी कदमों की मांग करने वाले तीन कार्यकर्ताओं की याचिका पर अधिकारियों को निर्देश जारी किए तथा राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को महामारी चलने तक उन्हें नि:शुल्क सूखा राशन मुहैया कराने के लिए योजना तैयार करने का आदेश दिया.
न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने यह आदेश भी दिया कि जिन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अभी तक एक देश, एक राशन कार्ड योजना (ओएनओआरसी) को लागू नहीं किया है, उन्हें 31 जुलाई तक इसे लागू करने का निर्देश दिया जाए.
केंद्र ने बताया कि असम, छत्तीसगढ़, दिल्ली और पश्चिम बंगाल ने अभी ओएनओआरसी को लागू नहीं किया है जिससे कार्यस्थल पर नि:शुल्क राशन मिलने में मदद मिलती है.
शीर्ष अदालत ने 21 अगस्त, 2018 के अपने आदेश का जिक्र किया जिसमें श्रम मंत्रालय को राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के पंजीकरण के लिए एक मॉड्यूल उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया था.
न्यायालय ने कहा, जब असंगठित क्षेत्र के श्रमिक पंजीकरण और राज्यों तथा केंद्र की अनेक कल्याणकारी योजनाओं के लाभ पाने का इंतजार कर रहे हैं, ऐसे में श्रम और रोजगार मंत्रालय का उदासीन रवैया अक्षम्य है. महामारी के मद्देनजर पोर्टल को अंतिम रूप दिये जाने तथा असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को लाभ मिलने की तत्काल आवश्यकता थी.
पीठ ने कहा, श्रम और रोजगार मंत्रालय का मॉड्यूल पूरा नहीं करने का रवैया, जबकि पहले 21 अगस्त 2018 को भी निर्देश दिया गया है, दिखाता है कि मंत्रालय को प्रवासी श्रमिकों की चिंता नहीं है और मंत्रालय के कार्रवाई नहीं करने को पूरी तरह अस्वीकार किया जाता है.