नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को आंध्र प्रदेश से ओडिशा की एक याचिका पर जवाब मांगा जिसमें उसने दक्षिणी राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ अपने तीन 'विवादित क्षेत्र' वाले गांवों में पंचायत चुनावों की अधिसूचना जारी करने के लिए अवमानना कार्रवाई करने का आग्रह किया है.
न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ ने कहा कि वह शुक्रवार को कोई आदेश पारित नहीं करेगी और 19 फरवरी को आंध्रप्रदेश के जवाब पर विचार करेगी.
संक्षिप्त सुनवाई के दौरान ओडिशा की तरफ से पेश हुए वकील विकास सिंह और वकील सिबू शंकर मिश्रा ने कहा कि आंध्र प्रदेश उसके नियंत्रण वाले विवादित क्षेत्र में पंचायत चुनाव करा रहा है. पीठ ने आंध्रप्रदेश के वकील महफूज ए. नाज्की से कहा कि ओडिशा की याचिका पर राज्य का जवाब दाखिल करें.
पीठ ने ओडिशा के वकील को याचिका की अग्रिम प्रति आंध्रप्रदेश के वकील को देने की छूट दे दी और मामले में सुनवाई की अगली तारीख 19 अप्रैल तय की.
आंध्र प्रदेश के साथ 21 गांवों के अधिकार क्षेत्र को लेकर यथास्थिति आदेश जारी रखने के पांच दशक से अधिक समय के बाद ओडिशा ने बृहस्पतिवार को एक बार फिर उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और आंध्रप्रदेश के अधिकारियों के खिलाफ इसके अधिकार क्षेत्र वाले तीन गांवों में पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी करने के लिए अवमानना की कार्रवाई करने का आग्रह किया.
मामला पहली बार 1968 में उच्चतम न्यायालय पहुंचा था
नवीन पटनायक सरकार ने कहा है कि अधिसूचना ओडिशा के क्षेत्र में अतिक्रमण है. 'कोटिया ग्राम समूह' के नाम से लोकप्रिय 21 गांवों के क्षेत्र पर अधिकार के विवाद का मामला पहली बार 1968 में उच्चतम न्यायालय पहुंचा था जब ओडिशा ने एक दिसंबर 1920, आठ अक्टूबर 1923 और 15 अक्टूबर 1927 की अधिसूचना के आधार पर दावा किया था कि आंध्रप्रदेश ने उसके क्षेत्र में अतिक्रमण किया है.