नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने अडाणी पॉवर (मुंद्र) लिमिटेड को गुजरात ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड (जीयूवीएनएल) की ओर से क्यूरेटिव याचिका पर तीन सप्ताह में जवाब देने को कहा है. इस याचिका में वर्ष 2019 के शीर्ष अदालत के उस फैसले को चुनौती दी गई, जिसमें निजी कंपनी द्वारा राज्य के सार्वजनिक उपक्रम से हुए करार को खत्म करने को बरकरार रखा गया था.
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट अडाणी पॉवर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और मुकुल रोहतगी के अनुरोध पर संज्ञान लिया, जिसमें उन्होंने जीयूवीएनएन की याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए कुछ और समय मांगा था.
पीठ ने आदेश में कहा कि प्रतिवादी (अडाणी पॉवर) ने याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए कुछ समय देने का अनुरोध किया है. तीन सप्ताह का समय जवाब दाखिल करने के लिए दिया जाता है और उसके बाद दो सप्ताह का समय वादी (जीयूवीएनएल) को प्रति जवाब देने के लिए दिया जाता है. इसके साथ मामले की अगली सुनवाई 17 नवंबर सूचीबद्ध की जाती है.
इस पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति यूयू ललित, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत शामिल हैं.
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शीर्ष अदालत ने सरकारी कंपनी की ओर से अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल के पेश होने के बाद उपभोक्ता शिक्षा एंव अनुसंधान सोसाइटी और एक सुनील बी ओझा का नाम पक्षकारों की सूची से हटाने का आदेश दिया.