नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने कहा है कि अदालतों का कर्तव्य है कि वे न सिर्फ अपराध बल्कि अपराधी, उसकी मानसिक स्थिति और उसकी सामाजिक आर्थिक स्थितियों को भी ध्यान में रखें.
न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव (Justices L Nageswara Rao) की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि यह अदालतों का कर्तव्य है कि वे आरोपी के सुधार और पुनर्वास की संभावना पर विचार करें. पीठ ने कहा, 'स्थापित कानूनी स्थिति को देखते हुए, आरोपी के सुधार और पुनर्वास की संभावना को ध्यान में रखना हमारा कर्तव्य है.'
पीठ में न्यायमूर्ति बी. आर. गवई (Justices B R Gavai) और न्यायमूर्ति बी. आर. नागरत्ना (Justices B V Nagarathna) भी शामिल थे. पीठ ने कहा, 'न केवल अपराध बल्कि अपराधी, उसकी मानसिक स्थिति और उसकी सामाजिक आर्थिक स्थितियों को भी ध्यान में रखना हमारा कर्तव्य है.'
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