नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले बच्चों के बीच 'गहन प्रतिस्पर्धा' और अपने अभिभावकों का 'दबाव' देश भर में आत्महत्या की बढ़ती संख्या का मुख्य कारण है.
न्यायालय ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें तेजी से बढ़ते कोचिंग संस्थानों के विनियमन का अनुरोध किया गया और छात्रों की आत्महत्याओं के आंकड़ों का हवाला दिया गया. न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एस वी एन भट्टी की पीठ ने हालांकि, बेबसी व्यक्त की और कहा कि न्यायपालिका ऐसे परिदृश्य में निर्देश पारित नहीं कर सकती है.
पीठ ने याचिकाकर्ता-मुंबई के डॉक्टर अनिरुद्ध नारायण मालपानी की ओर से पेश वकील मोहिनी प्रिया से कहा, 'ये आसान चीजें नहीं हैं. इन सभी घटनाओं के पीछे अभिभावकों का दबाव है. बच्चों से ज्यादा अभिभावक ही उन पर दबाव डाल रहे हैं. ऐसे में अदालत कैसे निर्देश पारित कर सकती है.'
न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा, हालांकि, हममें से ज्यादातर लोग नहीं चाहेंगे कि कोई कोचिंग संस्थान हो, लेकिन स्कूलों की स्थितियों को देखें. वहां कड़ी प्रतिस्पर्धा है और छात्रों के पास इन कोचिंग संस्थानों में जाने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है.