नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को बंबई उच्च न्यायालय के उस फैसले के खिलाफ अपील पर फैसला सुरक्षित रख लिया जिसमें कहा गया था कि अगर आरोपी और पीड़िता के बीच त्वचा से त्वचा का सीधा संपर्क (skin to skin contact) नहीं है तो पॉक्सो कानून के तहत यौन उत्पीड़न का कोई अपराध नहीं बनता.
न्यायमूर्ति यू यू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने पक्षों के वकीलों की दलीलें सुनीं और उन्हें लिखित दलीलें दाखिल करने का आदेश दिया. पीठ में जस्टिस एस रवींद्र भट और बेला एम त्रिवेदी भी शामिल है. पीठ ने कहा, पक्षकारों को तीन दिनों के भीतर अपनी लिखित दलीलें दाखिल करने की स्वतंत्रता है. आदेश सुरक्षित.
महाराष्ट्र सरकार ने शीर्ष अदालत से कहा था कि वे अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल की दलीलों को मानेंगे.