नई दिल्ली : दाऊदी बोहरा समुदाय में बहिष्कार की प्रथा से संबंधित याचिका (Excommunication Among Dawoodi Bohra case) को क्या निर्णय के लिए एक बड़ी पीठ को भेजा जाए, इस पर उच्चतम न्यायालय के पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने मंगलवार को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया. न्यायमूर्ति एसके कौल के नेतृत्व वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ इस बात पर विचार कर रही थी कि क्या कई देशों में फैले 10 लाख से कम लोगों के इस शिया मुस्लिम समुदाय को अपने असंतुष्ट सदस्यों को बहिष्कृत करने का अधिकार है. पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति एएस ओका, न्यायमूर्ति विक्रमनाथ और न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी भी हैं.
पीठ ने कहा, 'तथ्य यह है कि 1986 से लंबित यह मामला हमें परेशान करता है. हमारे सामने विकल्प, हमारे समक्ष मौजूद सीमित मुद्दे को निर्धारित करने, या इसे नौ-न्यायाधीशों की पीठ के पास भेजने का है.' सुनवाई की शुरुआत में केंद्र की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पांच न्यायाधीशों द्वारा दिए गए दाऊदी बोहरा के बहिष्कार से संबंधित फैसले पर पुनर्विचार उतनी ही संख्या वाले न्यायाधीशों की पीठ द्वारा संभव नहीं हो सकता. मामले के पक्षों में से एक की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता फाली एस नरीमन ने सुझाव दिया कि मामले को बड़ी पीठ के समक्ष भेजा जाना चाहिए.