नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव को बड़ी राहत प्रदान की है. कोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति मामले की सुनवाई बंद करने का आदेश दिया है. अखिलेश के भाई प्रतीक यादव को भी इसी मामले में राहत मिली है.
दरअसल, 2013 में सीबीआई ने एक क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी. याचिकाकर्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी ने इस क्लोजर रिपोर्ट को चुनौती दी थी. अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि आपकी याचिका में कोई तथ्य या मेरिट नहीं है, इसलिए सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार किया जाता है.
इस मामले में 2019 में सीबीआई ने एक रिपोर्ट दाखिल की थी. इस रिपोर्ट में सीबीआई ने खुद स्वीकार किया था कि वह इस मामले में जांच बंद कर चुकी है. अखिलेश यादव की ओर से पेश होते हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने इसे ही अपना आधार बनाया. पांच दिसंबर 2022 को कोर्ट ने कहा था कि वह इस मामले में अपना फैसला सुनाएगा.
सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में खुद कहा था कि इस मामले में मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव और प्रतीक यादव के खिलाफ जो भी आरोप लगे हैं, उसे सिद्ध नहीं किया जा सका. इसलिए क्लोजर रिपोर्ट फाइल की गई है. जांच एजेंसी ने कोर्ट को यह बताया कि उसने 2013 में ही इसकी जांच बंद कर दी थी. सीबीआई ने यह भी जानकारी दी कि इस मामले की जानकारी सीवीसी को भी दे दी गई थी.
जांच एजेंसी ने कोर्ट को यह भी बताया कि मुलायम सिंह यादव के खिलाफ तो 2007 में ही जांच बंद हो गई थी. याचिकाकर्ता ने कहा था कि इस मामले को बंद नहीं करना चाहिए. यहां यह भी बताना जरूरी है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार ही आय से अधिक संपत्ति मामले में जांच की शुरुआत की गई थी. तब मुलायम सिंह यादव ने इसे राजनीति से प्रेरित बताया था.
याचिकाकर्ता ने कहा था कि इस मामले को बंद नहीं करना चाहिए. याचिकाकर्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी ने 2005 में मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव और प्रतीक यादव के खिलाफ शिकायत की थी. उन्होंने कोर्ट में याचिका लगाकर जांच की मांग की थी. उनका आरोप था कि मुलायम सिंह यादव ने अपने मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार किया है और आय से अधिक संपत्ति जमा की है. शुरुआत में डिंपल यादव का भी नाम शामिल किया गया था, लेकिन बाद में उनका नाम हटा दिया गया. याचिकाकर्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी कांग्रेस नेता है.
ये भी पढ़ें :Same Sex Marriage : समलैंगिक विवाह पर केंद्र का SC में जवाब- ये भारतीय लोकाचार के अनुरूप नहीं