नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने आज कक्षा 12वीं की बोर्ड परीक्षा ( board exams) आयोजित करने को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया और पिछले वर्षों में छात्रों की आंतरिक परीक्षाओं (inetrnal exams ) के आधार पर आकलन करने के लिए आईसीएसई और सीबीएसई द्वारा तैयार किए गए फॉर्मूले में अपना विश्वास जताया.
कोर्ट का कहना है कि उसे दोनों बोर्डों के फैसलों में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं लगता, क्योंकि छात्र इसका समर्थन कर रहे हैं और यह उचित भी लगता है.
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर (Justice AM Khanwilkar ) और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी ( Justice Dinesh Maheshwari) की खंडपीठ ने बोर्डों द्वारा तैयार किए गए फॉर्मूले के खिलाफ कुछ दलों द्वारा किए गए सभी विरोधों को खारिज कर दिया और कहा कि 13 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति (expert committee) द्वारा सभी पहलुओं का ध्यान रखा गया था.
कोर्ट ने कहा कि सिर्फ इसलिए कि CLAT, NDA जैसी अन्य परीक्षाएं हो रही हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि सीबीएसई को भी परीक्षा करवानी चाहिए.
प्रत्येक परीक्षा में बैठने वाले छात्रों की संख्या अलग है, लॉजिस्टिक अलग है, प्रबंधन बोर्ड (managing board) अलग है और यह निकाय को तय करना है कि वे परीक्षा आयोजित करवाने में सक्षम होंगे या नहीं.
न्यायमूर्ति खानविलकर ने कहा कि सीबीएसई और आईसीएसई स्वायत्त निकाय (autonomous bodies) हैं और निर्णय ले सकते हैं.
यूपी के पेरेंट्स एसोसिएशन की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह (Senior Advocate Vikas Singh) ने सीबीएसई और आईसीएसई के फॉर्मूले के खिलाफ कुछ चिंता जताई थी और शुरुआत में ही ऑफ लाइन (physical exams) देने और बाद में इम्प्रूवाइजिंग का मौका मांगा था, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया.