नई दिल्ली :सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को असम में चुनाव आयोग के माध्यम से शुरू की गई विधानसभा और संसदीय क्षेत्रों के परिसीमन प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. असम के नौ अलग-अलग राजनीतिक दलों के दस विपक्षी नेताओं ने 126 विधानसभा क्षेत्रों और 14 लोकसभा क्षेत्रों के परिसीमन के लिए भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) के मसौदा प्रस्ताव को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था.
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा, 'इस चरण में जब परिसीमन की सराहना की गई है तो जून 2023 में मसौदा प्रस्ताव जारी करने पर उचित ध्यान दिया जा रहा है. प्रक्रिया को रोकना उचित नहीं होगा...'
शीर्ष अदालत ने कहा कि राष्ट्रपति ने असम में परिसीमन प्रक्रिया को स्थगित कर दिया था. हालांकि फरवरी 2020 में कानून मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी की कि क्योंकि स्थिति सामान्य थी, इसलिए राष्ट्रपति ने पहले की अधिसूचना को रद्द कर दिया था.
पीठ ने कहा कि धारा 8ए चार राज्यों के लिए एक विशेष प्रावधान करती है और इन राज्यों के मामले में, स्थगन आदेश को रद्द करने पर चुनाव आयोग द्वारा परिसीमन अभ्यास किया जाता है.
याचिकाकर्ताओं ने जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 8ए को भी चुनौती दी थी, जिसका परिसीमन प्रक्रिया के संचालन में अपनी शक्ति का प्रयोग करते समय चुनाव आयोग ने सहारा लिया है.
आरपीए, 1950 की धारा 8ए में मणिपुर, अरुणाचल, असम और नागालैंड में संसदीय और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के लिए विशिष्ट प्रावधान शामिल हैं.
शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि राष्ट्रपति को लगता है कि इन राज्यों में स्थिति परिसीमन प्रक्रिया के लिए अनुकूल है तो परिसीमन अधिनियम में पारित स्थगन आदेश को रद्द किया जा सकता है ताकि प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके. इसमें कहा गया है कि उपधाराओं में वे मानदंड शामिल हैं जिनका परिसीमन प्रक्रिया को अंजाम देने में चुनाव पैनल द्वारा पालन किया जाना है.