नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के उस फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसमें उत्तर प्रदेश को लकड़ी की उपलब्धता के आंकड़ों का पता चलने तक नए लकड़ी आधारित उद्योग स्थापित करने पर रोक लगाई गई थी. शीर्ष अदालत ने कहा कि हम इस बात से सहमत नहीं हैं कि एनजीटी के फैसले पर रोक लगाने की जरूरत है. प्रथम दृष्टया, हम एनजीटी के साथ सहमत हैं कि नए लकड़ी आधारित उद्योगों को अनुमति देने से पहले राज्य को डेटा एकत्र करना होगा.
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बीआर गवई की पीठ ने एनजीटी के आदेश के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दायर समीक्षा याचिका पर सुनवाई की. पीठ ने कहा कि बेशक, यह विचार बाद के चरण में पक्षों को विस्तार से सुनने के बाद लिए जाने वाले निर्णय के अधीन है. राज्य सरकार नए लकड़ी आधारित उद्योगों को लाइसेंस देने का निर्णय लेने से पहले मूल्यांकन करने के लिए IPIRTI (Indian Plywood Industries Research & Training Institute), बेंगलुरु से अनुरोध करने के लिए स्वतंत्र है.
उत्तर प्रदेश सरकार ने 1350 नए लकड़ी आधारित उद्योगों को लाइसेंस देने का निर्णय लिया था. इस फैसले को संवित फाउंडेशन, उदय एजुकेशन एंड वेलफेयर ट्रस्ट और यूपी टिम्बर एसोसिएशन ने एनजीटी में चुनौती दी थी. एनजीटी ने तब यूपी के प्रधान सचिव (वन) और प्रधान मुख्य वन संरक्षक की संयुक्त समिति को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा था. समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि नए लकड़ी आधारित उद्योग स्थापित करने के लिए पर्याप्त लकड़ी उपलब्ध है.