नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (SC) ने नोएडा में 40 मंजिला दो टावरों (Supertech Emerald Case) को गिराने के आदेश का पालन नहीं करने के लिए बुधवार को रियल्टी कंपनी सुपरटेक लिमिटेड की खिंचाई (SC pulls up Supertech) की और अदालत से 'खिलवाड़' के लिए निदेशकों को जेल भेजने को लेकर चेताया. शीर्ष अदालत ने पिछले साल घर खरीदारों को किए जाने वाले भुगतान में कटौती का भी संज्ञान लेते हुए कहा कि रियल्टी कंपनी 'सब कुछ दुरुस्त' कर ले या 'गंभीर परिणाम भुगतने' के लिए तैयार रहे.
इसने कहा कि यदि शीर्ष अदालत को लगा कि कंपनी उसके आदेश की अनदेखी करने के लिए सभी हथकंडे अपना रही है तो वह (अदालत) इसे बर्दाश्त नहीं करेगी. न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की खंडपीठ ने नोएडा प्राधिकरण को अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल करने और एक हलफनामा दायर करने का आदेश दिया, जिसमें यह वर्णन किया गया हो कि सुपरटेक लिमिटेड की एमराल्ड कोर्ट परियोजना के दो टावरों को ढहाने के लिए आज की तारीख तक क्या कदम उठाये गये हैं.
पीठ ने नोएडा प्राधिकरण की ओर से पेश हुए अधिवक्ता रवींद्र कुमार की इस दलील पर गौर किया कि शुरू में सुपरटेक लिमिटेड ने दोनों टावर को ढहाने के लिए एक एजेंसी का प्रस्ताव रखा था और इसकी मंजूरी के लिए सीबीआरआई को एक संदर्भ दिया गया था, लेकिन उस स्तर पर, सुपरटेक ने इस कार्य के लिए एक और प्रस्ताव रखा है. इससे पहले पीठ ने सुपरटेक के वकील पराग त्रिपाठी से कहा, 'क्या हुआ है? हम आपके निदेशकों को जेल भेजने जा रहे हैं, क्योंकि वे (निदेशक) शीर्ष अदालत के आदेश के पालन से भाग रहे हैं.'