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सुनिश्चित करें किसी दिव्यांग को क्लैट परीक्षा से वंचित नहीं किया जाए: सुप्रीम कोर्ट - डी वाई चंद्रचूड़ क्लैट

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज के कंसोर्टियम को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि किसी भी दिव्यांग छात्र को क्लैट (CLAT) परीक्षा में प्रवेश से वंचित नहीं किया जाए. साथ ही दिव्यांग व्यक्तियों के सभी प्रावधानों का पालन किया जाए.

SC ORDERS NLU CONSORTIUM TO PROVIDE SCRIBE TO ALL DISABLED STUDENTS
सुनिश्चित करें किसी दिव्यांग को क्लैट परीक्षा से वंचित नहीं किया जाए: शीर्ष अदालत

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Published : Dec 16, 2022, 7:11 AM IST

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कंसोर्टियम आफ नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि शारीरिक रूप से अक्षम कोई भी छात्र आगामी साझा विधि प्रवेश परीक्षा (क्लैट) से वंचित न रहे और योग्य उम्मीदवारों को पेपर लिखने के लिए सहायक सहित सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं.

कंसोर्टियम आफ नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज की स्थापना 19 अगस्त, 2017 को देश में विधि शिक्षा के मानकों में सुधार करने और राष्ट्रीय विधि विद्यालयों के बीच बेहतर समन्वय की सुविधा के लिए की गई थी. प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि किसी भी योग्य छात्र को परीक्षा में सहायक लाने से नहीं रोका जाए.

पीठ ने कहा, 'हम पहले प्रतिवादी (कंसोर्टियम) को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देते हैं कि शारीरिक रूप से अक्षम कोई भी छात्र आगामी परीक्षा में प्रवेश से वंचित न रहे और दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम 2016 के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए सभी आवश्यक सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए. क्लैट 2023 परीक्षा 18 दिसंबर, 2022 को आयोजित की जाएगी.

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शीर्ष अदालत का आदेश दिव्यांग अधिकार कार्यकर्ता अर्नब रॉय द्वारा दायर एक याचिका पर आया. रॉय ने याचिका शारीरिक रूप से अक्षम ऐसे व्यक्तियों पर क्लैट कंसोर्टियम द्वारा लगाई गई कुछ कड़ी शर्तों के खिलाफ दायर की थी जो सहायक की सुविधा का लाभ उठाने के इच्छुक हैं.

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