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SC On Termination of Pregnancy: उच्चतम न्यायालय की दो जजों की पीठ ने गर्भपात के मामले में सुनाया अलग-अलग फैसला

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की दो महिला न्यायाधीश बुधवार (Supreme Court On Pregnant Women) को इस बात पर असहमत हैं कि एक विवाहित महिला की 26 सप्ताह की गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति दी जाए या नहीं, जिसे पहले अदालत ने गर्भपात की अनुमति दी थी. न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना (SC On Termination of Pregnancy) की पीठ ने कहा कि हममें से एक (न्यायमूर्ति कोहली) की राय है कि गर्भावस्था को समाप्त नहीं किया जाना चाहिए, जबकि पीठ के दूसरे न्यायाधीश इससे सहमत नहीं हैं.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट

By PTI

Published : Oct 11, 2023, 5:26 PM IST

Updated : Oct 11, 2023, 5:55 PM IST

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय की दो न्यायाधीशों वाली पीठ ने विवाहित महिला को 26 सप्ताह की गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति देने के उसके नौ अक्टूबर के आदेश को वापस लेने संबंधी केन्द्र की याचिका पर बुधवार को अलग-अलग फैसला सुनाया. न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने नौ अक्टूबर को आदेश पारित किया था. पीठ ने कहा कि केंद्र की याचिका को अब प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के पास भेजा जाए, ताकि उसे उचित पीठ के समक्ष भेजा जा सके.

न्यायमूर्ति कोहली ने कहा कि वह 27 वर्षीय महिला को गर्भपात की अनुमति नहीं दे सकतीं, न्यायमूर्ति नागरत्ना ने केन्द्र की याचिका खारिज कर दी और कहा कि पहला आदेश भली-भांति सोचकर दिया गया था. शीर्ष अदालत ने नौ अक्टूबर को महिला को गर्भावस्था की चिकित्सीय समाप्ति की अनुमति दी थी. अदालत ने इस बात पर गौर किया कि वह अवसाद से पीड़ित है और भावनात्मक, आर्थिक एवं मानसिक रूप से तीसरे बच्चे को पालने की स्थिति में नहीं है. महिला के दो बच्चे हैं.

हालांकि उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को उस नई चिकित्सकीय रिपोर्ट पर वेदना व्यक्त की, जिसमें 26 सप्ताह की गर्भवती विवाहित महिला के भ्रूण के जीवित रहने की प्रबल संभावना जताई गई थी. प्रारंभ में उसे गर्भपात की इजाजत दी गई थी. उच्चतम न्यायालय ने कहा कि कौन सी अदालत कहेगी, भ्रूण की हृदयगति बंद कर दो.

न्यायालय की कार्यवाही शुरू होने पर न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने पूछा कि यदि चिकित्सक पिछली रिपोर्ट के दो दिन बाद इतने स्पष्ट हो सकते हैं, तो (पहले की) रिपोर्ट अधिक विस्तृत और अधिक स्पष्ट क्यों नहीं थी? पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल से पूछा कि पहले की रिपोर्ट में वे अस्पष्ट क्यों थे? पीठ ने कहा कि उसने नई दिल्ली एम्स के चिकित्सकों की एक टीम द्वारा पेश रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए पिछला आदेश पारित किया था, जिसने महिला की जांच की थी.

Last Updated : Oct 11, 2023, 5:55 PM IST

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