दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

SC ने शिवसेना पर शिंदे गुट की याचिका 5 जजों की पीठ को सौंपा

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को आदेश दिया कि वह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट द्वारा 'असली शिवसेना' पार्टी के रूप में मान्यता देने और उसे 'धनुष और तीर' का चुनाव चिन्ह देने के लिए दायर आवेदन पर गुरुवार तक कोई कार्रवाई न करे.

असली शिवसेना पार्टी की मान्यता
असली शिवसेना पार्टी की मान्यता

By

Published : Aug 23, 2022, 1:09 PM IST

Updated : Aug 23, 2022, 4:47 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की ओर से दाखिल उन याचिकाओं को मंगलवार को पांच सदस्यीय संविधान पीठ के पास भेज दिया, जिनमें दलबदल, विलय और अयोग्यता से जुड़े कई संवैधानिक सवाल उठाए गए हैं. शीर्ष अदालत ने संबंधित याचिकाओं को बृहस्पतिवार को संविधान पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का आदेश दिया. साथ ही निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया कि वह शिंदे गुट की उस याचिका पर कोई आदेश पारित न करे, जिसमें उसे असली शिवसेना मानने और पार्टी का चुनाव चिन्ह आवंटित करने की मांग की गई है.

प्रधान न्यायाधीश जस्टिस एन. वी. रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि याचिकाएं संविधान की 10वीं अनुसूची से जुड़े कई अहम संवैधानिक मुद्दों को उठाती हैं, जिनमें अयोग्यता, अध्यक्ष एवं राज्यपाल की शक्तियां और न्यायिक समीक्षा शामिल है. पीठ ने कहा कि 10वीं अनुसूची से संबंधित नबाम रेबिया मामले में संविधान पीठ द्वारा निर्धारित कानून का प्रस्ताव एक विरोधाभासी तर्क पर आधारित है, जिसके तहत संवैधानिक नैतिकता को बनाए रखने के लिए रिक्तता को भरने की आवश्यकता है. इस पीठ में न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली भी शामिल हैं.

पीठ ने कहा कि याचिकाएं अहम मुद्दों को उठाती हैं, जिन पर पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ द्वारा विचार किए जाने की जरूरत है. इन्हें बृहस्पतिवार को संविधान पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करें. संविधान पीठ पहले चुनाव चिन्ह से संबंधित निर्वाचन आयोग की कार्यवाही के बारे में निर्णय करेगी. शीर्ष अदालत ने संविधान पीठ से इन संवैधानिक मुद्दों पर गौर करने को कहा कि क्या अध्यक्ष को हटाने का नोटिस उन्हें अयोग्यता की कार्यवाही जारी रखने से रोकता है, क्या अनुच्छेद 32 या 226 के तहत दायर याचिका अयोग्यता की कार्यवाही के खिलाफ है, क्या कोई अदालत किसी सदस्य को उसके कार्यों के आधार पर अयोग्य घोषित कर सकती है, सदस्यों के खिलाफ सदन में लंबित अयोग्यता याचिकाओं में कार्यवाही की स्थिति क्या है.

पीठ महाराष्ट्र में हाल के राजनीतिक संकट से जुड़े लंबित मामलों की सुनवाई कर रही थी, जिसके कारण राज्य में शिवसेना के नेतृत्व वाली महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार गिर गई थी. संविधान की दसवीं अनुसूची में निर्वाचित और मनोनीत सदस्यों के दलबदल करने के खिलाफ कड़े प्रावधान किए गए हैं. इससे पहले, उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट ने दलील दी थी कि एकनाथ शिंदे के वफादार पार्टी विधायक किसी अन्य राजनीतिक दल के साथ विलय करके ही संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत खुद को अयोग्यता से बचा सकते हैं.

पीठ ने शिंदे खेमे को उद्धव गुट द्वारा दायर याचिकाओं में उठाए गए विभाजन, विलय, दलबदल और अयोग्यता के कानूनी मुद्दों पर फिर से दलील तैयार करने के लिए कहा था, जिन पर महाराष्ट्र के हालिया राजनीतिक संकट के बाद फैसला सुनाया जाना है. शिंदे खेमे ने कहा था कि दलबदल विरोधी कानून एक ऐसे नेता के लिए हथियार नहीं हो सकता, जिसने अपनी ही पार्टी का भरोसा खो दिया है और जिसे पद पर बने रहने के लिए उसके सदस्यों को कैद करना पड़ा था.

Last Updated : Aug 23, 2022, 4:47 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details