नई दिल्ली :उच्चतम न्यायालय (Supreme court) ने सोमवार को कहा कि उसने संसद और विधानसभाओं में जन प्रतिनिधियों के उद्दण्ड व्यवहार का कड़ा संज्ञान लिया है क्योंकि इस तरह की घटनाएं दिनों-दिन बढ़ती जा रही हैं और इस तरह के आचरण को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. न्यायालय ने 2015 में केरल विधानसभा में हुए हंगामे के सिलसिले में दर्ज एक आपराधिक मामले से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की. यह घटना राज्य में पिछली कांग्रेस नीत यूडीएफ शासन के दौरान हुई थी.
न्यायालय ने कहा कि यह अवश्य सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि सदन में शिष्टाचार बना रहे. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने केरल विधानसभा की घटना का जिक्र करते हुए कहा, 'प्रथम दृष्टया, हमें इस तरह के व्यवहार का कड़ा संज्ञान लेना होगा. इस तरह का व्यवहार अस्वीकार्य है.'
पीठ ने कहा, 'हमें अवश्य सुनिश्चित करना चाहिए कि कुछ शिष्टाचार बना रहे. इस तरह की घटनाएं दिनों-दिन बढ़ती जा रही हैं. संसद में भी, यह हो रहा है और इसके खिलाफ सख्ती बरतनी होगी.' इस मामले में केरल सरकार ने एक याचिका के जरिए उच्च न्यायालय के 12 मार्च के आदेश को चुनौती दी है. इसमें राज्य सरकार की याचिका खारिज कर दी गई थी, जो राज्य विधानसभा के अंदर 2015 में हुए हंगामे से जुड़े एक आपराधिक मामले को निरस्त करने के लिए थी.
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