नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को विवाहिता की 26 सप्ताह के गर्भ को गिराने की याचिका (abortion case in sc) की चौथे दिन की सुनवाई की. इस दौरान शीर्ष अदालत ने एम्स, नई दिल्ली के मेडिकल बोर्ड से भ्रूण में किसी प्रकार की असामन्यता की जांच करने को कहा. साथ ही महिला की स्वास्थ्य स्थिति की जांच करने को भी कहा. गौरतलब है कि महिला ने अवसाद और गंभीर प्रसवोत्तर मनोविकृति से पीड़ित होने का दावा किया था.
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ केंद्र के आवेदन पर दलीलें सुन रही थी, जिसमें शीर्ष अदालत के 9 अक्टूबर के आदेश को वापस लेने की मांग की गई थी. इस आदेश में दो बच्चों की मां तथा 27 वर्षीय महिला को एम्स में गर्भपात कराने की अनुमति दी गई थी. पीठ ने कहा, "हालांकि एम्स द्वारा सौंपी गई पिछली रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि भ्रूण सामान्य है. इसके बावजूद, मामले में किसी प्रकार का संदेह न रहे, इसलिए, हम अनुरोध करते हैं कि उपरोक्त पहलू पर एक और रिपोर्ट पेश किया जाए." इस पीठ में न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल हैं.