नई दिल्ली :जस्टिस आर सुभाष रेड्डी सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त (sc justice subhash reddy retirement) हो गए. वर्चुअल विदाई समारोह में जस्टिस रेड्डी ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के वकीलों और सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीशों की मौजूदगी में संबोधित किया. जस्टिस रेड्डी ने कहा कि मानवीय मूल्यों में गिरावट आई है जिससे बढ़ते मामले और अपराध हो रहे हैं और हर साल मामले बढ़ते जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि अदालतें जनता की अपेक्षाओं को पूरा करने में सक्षम नहीं हो रही हैं. जस्टिस आर सुभाष उच्चतम न्यायालय में तीन साल से अधिक समय तक सेवा देने के बाद मंगलवार को सेवानिवृत्त हुए. उनकी सेवानिवृत्ति के बाद शीर्ष न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या घट कर 32 रह जाएगी, जबकि कुल मंजूर पदों की संख्या 34 है.
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल के सुझाव का हवाला देते हुए, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी (Justice R Subhash Reddy) ने कहा कि हाईकोर्ट के ऊपर अपील की एक अदालत जो दीवानी और आपराधिक मामलों में अंतिम फैसला देती है, मददगार हो सकती है. उन्होंने कहा कि 19 वीं शताब्दी में निर्धारित समय लेने वाली पारंपरिक प्रक्रियाओं को आधुनिक बनाने की जरूरत है. जस्टिस रेड्डी ने कहा कि कई अध्ययनों में यह बात स्पष्ट हुई है कि एक मजबूत और कुशल न्यायिक प्रणाली के सकारात्मक लाभ हैं.
उन्होंने कहा कि न्यायिक स्वतंत्रता कितनी है, इसका संबंध आर्थिक विकास से भी है. जस्टिस रेड्डी ने कहा कि न्याय वितरण प्रणाली एक राष्ट्र के विकास का आकलन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. रेड्डी ने कहा, मुकदमों के निपटारे के लिए एक तंत्र की आवश्यकता (timeless mechanism for case disposal) है. उन्होंने वकीलों से कहा कि वे पैसे को ज्यादा महत्व न दें और मुवक्किलों के लिए ईमानदारी से काम करें.
न्यायपालिका में अपनी यात्रा के बारे में बात करते हुए, न्यायमूर्ति रेड्डी ने कहा कि उन्होंने अपने पैतृक गांव में एक ऐसे स्कूल में शिक्षा हासिल की जहां केवल एक शिक्षक थे. उन्होंने बताया कि कॉन्वेंट स्कूलों के छात्रों या शहरी क्षेत्रों के छात्रों के साथ प्रतिस्पर्धा करना उनके लिए मुश्किल था, लेकिन उनके माता-पिता और उनके चाचा ने शिक्षा का पूरा ख्याल रखा.
चीफ जस्टिस रमना को याद आया 30 साल का साथ