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SC Rejects Pregnancy Termination Plea: विवाहिता को 26 सप्ताह के गर्भ को गिराने की अनुमति देने से SC का इनकार - सुप्रीम कोर्ट न्यूज

उच्चतम न्यायालय में एम्स की तरफ से महिला के स्वास्थ्य को लेकर रिपोर्ट पेश किये जाने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुनाया है. शीर्ष अदालत ने सोमवार को एक विवाहित महिला को उसके 26 सप्ताह के गर्भ को गिराने की अनुमति (Pregnancy Termination Plea) देने से इनकार कर दिया क्योंकि उसका भ्रूण स्वस्थ है और एम्स के मेडिकल बोर्ड को उसमें कोई विसंगति नहीं दिखी.

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By ANI

Published : Oct 16, 2023, 3:20 PM IST

Updated : Oct 16, 2023, 5:04 PM IST

नई दिल्ली :उच्चतम न्यायालय ने विवाहिता की 26 सप्ताह के गर्भ को गिराने की अनुमति वाली याचिका खारिज (SC Rejects Pregnancy Termination Plea) कर दी. ये फैसला एम्स की रिपोर्ट आने के बाद अदालत ने लिया है. शीर्ष अदालत के निर्देश पर सोमवार को विवाहिता की 26 सप्ताह के गर्भ को गिराने की याचिका (Pregnancy Termination Plea) पर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने अपनी रिपोर्ट पेश की. शीर्ष अदालत को एम्स ने बताया कि भ्रूण में किसी प्रकार की असामान्यता नहीं पायी गई है. इस रिपोर्ट के बाद शीर्ष अदालत ने कहा कि वह 26 सप्ताह से अधिक के गर्भ को समाप्त करने से संबंधित याचिका पर फैसला सुनाया.

जानकारी के मुताबिक, प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि महिला, जो दो बच्चों की मां है, का गर्भकाल 24 सप्ताह से अधिक समय का हो गया है जो चिकित्सकीय गर्भपात की अनुमति की अधिकतम सीमा है और इसके बाद गर्भ गिराने की अनुमति नहीं दी जा सकती. शीर्ष अदालत ने कहा कि भ्रूण 26 सप्ताह पांच दिन का है और महिला के लिए तत्काल कोई जोखिम नहीं है. उसने कहा कि भ्रूण में कोई विसंगति नजर नहीं आई.

पीठ में न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा शामिल थे. पीठ ने कहा, "गर्भावस्था 24 सप्ताह की अवधि को पार कर गयी है और लगभग 26 सप्ताह पांच दिन की है. चिकित्सकीय गर्भपात की अनुमति नहीं दी जा सकती." इससे पहले शीर्ष अदालत ने आज कहा था कि गर्भपात कानून को दी गयी चुनौती का निस्तारण अलग कार्यवाही में किया जाएगा तथा वर्तमान मामला याचिकाकर्ता और राज्य के बीच सीमित रहेगा. शीर्ष अदालत ने इससे पूर्व अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के मेडिकल बोर्ड से इस बारे में रिपोर्ट मांगी थी कि क्या भ्रूण में किसी तरह की विसंगति है.

पीठ केंद्र की अर्जी पर दलीलें सुन रही थी, जिसमें शीर्ष अदालत के नौ अक्टूबर के आदेश को वापस लेने की मांग की गई थी. नौ अक्टूबर के आदेश में 27 वर्षीय महिला को एम्स में गर्भपात कराने की अनुमति दी गई थी, क्योंकि वह दूसरे बच्चे के जन्म के बाद प्रसवोत्तर मनोविकृति से जूझ रही थी. चिकित्सकीय गर्भपात कानून के तहत, विवाहित महिलाओं, बलात्कार पीड़ितों समेत विशेष श्रेणियों और दिव्यांग तथा नाबालिगों जैसी अन्य कमजोर महिलाओं के लिए गर्भ को समाप्त करने की ऊपरी सीमा 24 सप्ताह है.

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Last Updated : Oct 16, 2023, 5:04 PM IST

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