बेंगलुरु :2027 में भारत की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनने जा रही सुप्रीम कोर्ट की जज जस्टिस बी.वी. नागरत्ना (SC Judge Justice BV Nagarathna) ने शनिवार को कहा कि जजों की नियुक्ति में देरी के मुद्दे का सामान्य रूप से लोकतंत्र और विशेष रूप से न्यायपालिका पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है.
बेंगलुरु में दक्षिणी राज्यों के केंद्र सरकार के वकीलों के पांचवें सम्मेलन में उद्घाटन भाषण देते हुए न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि स्वतंत्र और निडर न्यायाधीशों द्वारा सभी स्तरों पर न्यायपालिका का पर्याप्त स्टाफ किसी भी तरफ से किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप को रोकने के लिए आवश्यक है.'
न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि 'मुझे अपने सबसे विनम्र तरीके से कहना चाहिए कि न्यायपालिका से संबंधित महत्वपूर्ण मामलों में सरकार या कार्यपालिका की निष्क्रियता या देरी जैसे न्यायाधीशों की नियुक्ति का सामान्य रूप से लोकतंत्र और विशेष रूप से न्यायपालिका पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है.'
उन्होंने कहा कि वास्तव में मेरे विनम्र विचार में, सर्वोच्च न्यायालय के कॉलेजियम द्वारा अनुशंसित न्यायाधीशों की नियुक्तियों और स्थानांतरण को जल्द से जल्द प्रभावी ढंग से संसाधित करने के लिए कार्यपालिका पर एक संवैधानिक दायित्व है, ताकि अदालतों में कोई रिक्तियां न हों, जो प्रभावी न्यायिक कामकाज को बाधित कर सकें. यदि न्यायपालिका के सशक्तिकरण पर गंभीरता से विचार करना है, तो मुझे लगता है कि रिक्तियों को भरा जाना चाहिए.