नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय वीडियोकॉन-आईसीआईसीआई बैंक कर्ज धोखाधड़ी मामले में वीडियोकॉन समूह के संस्थापक वेणुगोपाल धूत की अंतरिम जमानत को चुनौती देने वाली केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की याचिका पर सुनवाई के लिए बुधवार को राजी हो गया. न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने सीबीआई की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू की इस दलील पर गौर किया कि केस डायरी का अध्ययन किए बिना ही जमानत दी गई. इसके बाद पीठ ने धूत को नोटिस जारी किया.
बंबई उच्च न्यायालय ने 20 जनवरी को धूत को अंतरिम जमानत देते हुए कहा था कि उनकी गिरफ्तारी के लिए सीबीआई द्वारा बतायी वजह ‘‘काफी अनियत और आधारहीन है.’’ उच्च न्यायालय ने कहा था कि जांच अधिकारी अपनी ‘‘पसंद’’ के अनुसार किसी आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकता. उसने यह कहते हुए विशेष अदालत को भी फटकार लगाई थी कि उसने केस डायरी के साथ ही रिमांड अर्जी पर गौर करने के लिए कोई ‘‘गंभीर प्रयास’’ नहीं किया. धूत को 26 दिसंबर 2022 को गिरफ्तार किया गया था. अदालत ने धूत को एक लाख रुपये का नकद मुचलका भरने पर अंतरिम जमानत दे दी थी.
सीबीआई का आरोप है कि आईसीआईसीआई बैंक ने वीडियोकॉन समूह के संस्थापक वेणुगोपाल धूत द्वारा प्रवर्तित वीडियोकॉन समूह की कंपनियों को बैंकिंग विनियमन अधिनियम, भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) के दिशा-निर्देशों और बैंक की ऋण नीति का उल्लंघन करते हुए 3,250 करोड़ रुपये की ऋण सुविधाएं मंजूर की थीं.
सीबीआई ने चंदा कोचर और दीपक कोचर, दीपक कोचर द्वारा संचालित नूपावर रिन्यूएबल्स (एनआरएल), सुप्रीम एनर्जी, वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड तथा वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 2019 के तहत दर्ज प्राथमिकी में आरोपी बनाया है.