नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने मामलों की नियमित (प्रत्यक्ष) सुनवाई फिर से शुरू करने के उत्तराखंड उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने से सोमवार को इनकार कर दिया. शीर्ष आदालत ने कहा कि डिजिटल सुनवाई से युवा वकील प्रभावित हो रहे हैं. मार्च में कोविड-19 महामारी के कारण नियमित सुनवाई को निलंबित कर दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में केंद्र सरकार, बार काउंसिल ऑफ इंडिया, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और कुछ उच्च न्यायालय को नोटिस जारी किया है.
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की तीन सदस्यीय पीठ ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई), सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) को भी मामले में पक्ष बनाया और उन्हें नोटिस जारी किए. पीठ ने स्पष्ट किया कि डिजिटल सुनवाई का उपयोग सीमित होना चाहिए और याचिकाकर्ता को यह नहीं कहना चाहिए कि 'हाइब्रिड' व्यवस्था हमेशा के लिए जारी रहनी चाहिए.
पीठ ने कहा, 'हम बीसीआई और एससीबीए को नोटिस जारी करेंगे. देखते हैं कि उनका क्या जवाब होता है. हमने आदेश देखा है लेकिन हम इस पर रोक नहीं लगा रहे हैं.' कोर्ट ने कहा कि वह दूसरे पक्ष को सुनना चाहेगी और अभी हाईकोर्ट के फैसले पर रोक नहीं लगाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड, एमपी, बॉम्बे और केरल उच्च न्यायालय को भी नोटिस जारी किया.
पीठ ने कहा कि इस अदालत का इरादा वकीलों को यहां नहीं देखने का नहीं है. पीठ ने कहा, 'हमें वास्तव में आपकी कमी खल रही है. हम आपको आमने-सामने देखना चाहते हैं. वकीलों का प्रदर्शन भी प्रभावित हो रहा है. आपके कार्यालय में बैठ कर दलीलें देना अदालत में बहस करने से अलग है.