नई दिल्ली : मराठा आरक्षण मामले को लेकर सुप्रीम में आज सुनवाई हुई . सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को नोटिस जारी कर पूछा कि क्या आरक्षण की सीम को 50 प्रतिशत से अधिक बढ़ाया जा सकता है.
इसके साथ ही इस मामले में की सुनवाई ने सुप्रीम कोर्ट ने 15 मार्च तक टाल दी है.
बंबई उच्च न्यायालय ने सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग (एसईबीसी) की श्रेणी के तहत मराठा समुदाय को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में दिए गए आरक्षण की वैधता को जून में बरकरार रखा था, लेकिन आरक्षण की मात्रा 16 प्रतिशत से घटा दी थी.
शिक्षा में प्रस्तावित आरक्षण को 16 प्रतिशत से 12 प्रतिशत और नौकरियों में 13 प्रतिशत से नीचे लाते हुए उच्च न्यायालय ने कहा था कि उच्च आरक्षण 'उचित नहीं' है.
आरक्षण देने की बात काफी दिनों से चल रही है
महाराष्ट्र में मराठाओं को आरक्षण देने की बात काफी समय से चल रही है. साल 2018 में राज्य सरकार ने शिक्षा-नौकरी में 16 फीसदी आरक्षण देने का कानून बनाया था. हालांकि हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में इसकी सीमा को कम कर दिया था. जिसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया. सुप्रीम कोर्ट ने उस वक्त कहा कि जब तक मामले की सुनवाई पूरी नहीं हो जाती तब तक इस पर रोक लगाई जाए.
बता दें कि महाराष्ट्र सरकार ने राजनीतिक रूप से प्रभावशाली मराठा समुदाय को एक नई सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग श्रेणी बनाकर 16 फीसदी आरक्षण देने का प्रस्ताव दिया था.
तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मराठाओं की काफी समय से लंबित मांग पर राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिशों पर कार्यवाही रिपोर्ट (एटीआर) प्रस्तुत की थी.