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आजम खान और उनके बेटे को SC से राहत, मिल गई जमानत

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला की मुश्किलें फिलहाल कम हो गई हैं. सर्वोच्च न्यायालय ने एक मामले में पिता पुत्र को राहत दे दी है.

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Published : Aug 10, 2021, 1:16 PM IST

Updated : Aug 10, 2021, 5:33 PM IST

Aajam Khan, Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को निर्देश दिया कि समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता आजम खान और उनके बेटे मोहम्मद अब्दुल्ला को कथित धोखाधड़ी और दस्तावेजों के फर्जीवाड़े के मामले में जमानत दी जाए, हालांकि यह दो हफ्ते के अंदर निचली अदालत द्वारा शिकायतकर्ता का बयान दर्ज करने पर निर्भर करेगा.

आजम खान ने अपने बेटे को दूसरा स्थायी खाता संख्या (पैन) कार्ड बनवाने के लिए फर्जी दस्तावेजों के जरिए जन्म की गलत तारीख प्रदर्शित करने में कथित तौर पर मदद की थी, ताकि वह उत्तर प्रदेश में रामपुर की स्वार विधानसभा सीट से 2017 का चुनाव लड़ सकें. दरअसल, आजम के बेटे उस वक्त नाबालिग थे.

न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने कहा कि चूंकि मामले में आरोपपत्र दाखिल हो गया है, जो कि ज्यादातर दस्तावेजी साक्ष्यों से संबद्ध है, ऐसी स्थिति मे निचली अदालत दो हफ्ते के अंदर शिकायतकर्ता का बयान दर्ज करने के बाद पिता-पुत्र को जमानत दे .

फर्जीवाड़ा मामले में जमानत मिलने के साथ आजम खान को दो मामलों के अलावा सभी प्राथमिकियों में जमानत मिल गई है.

अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल एस वी राजू ने जमानत याचिकाओं का पुरजोर विरोध करते हुए कहा कि वे दोनों आदतन अपराधी हैं और उनके खिलाफ 87 प्राथमिकियां दर्ज हैं, जिनमें फर्जी दस्तावेजों के जरिए अरबों रुपये की एक शत्रु संपत्ति की जमीन पर कब्जा करने का मामला भी शामिल है.

उन्होंने कहा कि दोनों को जमानत नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि वे फरार थे और उम्र कैद की सजा का प्रावधान करने वाले अपराधों को लेकर उनकी संपत्ति कुर्क करने की कार्यवाही शुरू कर दी गई है.

आजम की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि जब जांच पूरी हो गई है और मामले में आरोपपत्र दाखिल हो गया है, जिस पर निचली अदालत संज्ञान ले चुकी है, ऐसे में उन्हें हिरासत में नहीं रखा जा सकता.

उन्होंने कहा कि वह (आजम) सभी मामलों में जमानत पाने में कामयाब रहे हैं और इसलिए उन्हें इस मामले में भी जमानत दी जाए क्योंकि यह विषय भी दस्तावेजी साक्ष्य से संबद्ध है.

राजू ने कहा कि आजम खान अस्पताल से भी विभिन्न मामलों में गवाहों को प्रभावित करते रहे हैं और उन्हें जमानत नहीं दी जानी चाहिए.

उल्लेखनीय है कि पिछले साल 26 नवंबर को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आजम और उनके बेटे की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने शीर्ष न्यायालय का रुख किया था.

उन्हें मामले में फरवरी 2020 में हिरासत में लिया गया था और इस साल मई में एक आरोपपत्र दाखिल किया गया था.

प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि नामांकन पत्र में अब्दुल्ला ने अपनी जन्म तिथि 30 सितंबर 1990 होने का जिक्र किया था, जबकि उनकी वास्तविक जन्म तिथि एक जनवरी 1993 है. इसमें आरोप लगाया गया है कि चुनाव लड़ने की उम्र संबंधी योग्यता हासिल करने के लिए ऐसा किया गया था और आजम खान ने गलत पैन कार्ड हासिल करने में उनकी मदद की थी.

Last Updated : Aug 10, 2021, 5:33 PM IST

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