नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव का कार्यकाल छह महीने और बढ़ाने की स्वीकृति प्रदान कर दी है. यह अनुरोध केंद्र सरकार ने किया था. इस फैसले का केजरीवाल सरकार विरोध कर रही थी.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि केंद्र सरकार के इस फैसले में उन्हें किसी भी संवैधानिक शक्तियों के दुरुपयोग को कोई मामला नजर नहीं आता है. तीन जजों की बेंच ने यह फैसला सुनाया. बेंच का नेतृत्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ कर रहे थे. उनके साथ दो अन्य जज थे- जस्टिस जेपी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा.
आपको बता दें कि एक दिन पहले यानी मंगलवार को केंद्र सरकार ने कोर्ट में अपना पक्ष रखा था. केंद्र सरकार ने कहा था कि वह दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव की सेवा को विस्तार देना चाहते हैं. उसके बाद केंद्र ने उन प्रावधानों को भी सामने रखा, जिसके आधार पर उनका कार्यकाल बढ़ाना चाहती है. केंद्र ने यह भी कहा कि वह नए मुख्य सचिव की नियुक्ति को लेकर दिल्ली सरकार के साथ विमर्श करने को तैयार है, लेकिन तब तक के लिए नरेश कुमार के कार्यकाल को बढ़ाया जाए.
दरअसल, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और दिल्ली के उप राज्यपाल वीके सक्सेना के बीच मुख्य सचिव की नियुक्ति को लेकर विवाद हो गया था. दिल्ली सरकार ने यह आरोप लगाया कि एलजी बिना उनकी राय लिए ही मुख्य सचिव की नियुक्ति करना चाहते हैं. राज्य सरकार ने यह भी कहा कि बिना उनकी सहमति के ही वर्तमान मुख्य सचिव नरेश कुमार का कार्यकाल बढ़ाया जा रहा है. इसके बाद दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी. इसी मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के फैसले को सही ठहरा दिया. वैसे, आपको बता दें कि दिल्ली सरकार और एलजी के बीच अधिकारियों से जुड़े सेवा अधिकार को लेकर लंबे समय से विवाद चला आ रहा है.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र से यह जरूर पूछा कि क्या आपके पास सिर्फ एक ही अधिकारी हैं, क्या कोई दूसरा आईएएस उपलब्ध नहीं है. यहां आपको बता दें कि 11 मई को सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया था. इसमें कोर्ट ने कहा था कि आदर्श स्थिति तो यह है कि चुनी हुई सरकार के पास अधिकारियों के तबादले का अधिकार हो, लेकिन दिल्ली की स्थिति थोड़ी अलग है. यहां पर एलजी को कुछ ऐसे भी अधिकार हैं, जो अधिकार राज्य सरकार के पास नहीं हैं. सुप्रीम कोर्ट ने आज अपने फैसले में इसका जिक्र भी किया. कोर्ट ने कहा कि मुख्य सचिव की नियुक्ति को इस फैसले के आलोक में देखिए.
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