नई दिल्ली: हरियाणा के खोरी गांव (Khori village Faridabad) में प्रशासन को थोड़ी राहत मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Cour) ने शुक्रवार को फरीदाबाद नगर निगम (Faridabad Muncipal Corporation) को चार सप्ताह की और मोहलत दे दी है. यानी वन भूमि पर अवैध रूप से बनाए गए घरों को ध्वस्त करने के लिए चार सप्ताह का समय और दे दिया है.
न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ लगभग 10,000 घरों को गिराने से संबंधित याचिका पर सुनवाई कर रही थी. निगम ने न्यायालय को जानकारी दी कि 150 एकड़ में से 74 एकड़ भूमि वापस निगम के कब्जे में आ गई है, बाकी के लिए तीन सप्ताह और समय की जरूरत है. इस पर कोर्ट ने उन्हें चार सप्ताह की मोहलत दे दी.
इसके साथ ही अदालत ने पुनर्वास को लेकर भी चिंता जताई. वकील कॉलिन गोंजाल्विस को पुनर्वास नीति पर अपने सुझाव कल तक नगर निगम आयुक्त को सौंपने को कहा. साथ ही निगम को अगले सप्ताह यह काम पूरा करने को कहा.
वकीलों ने भोजन और आश्रय न मिलने का दिया तर्क
राज्य ने अपने हलफनामे में अस्थायी आश्रय और भोजन का आश्वासन दिया है लेकिन अधिवक्ताओं का कहना है कि इसका अनुपालन नहीं किया जा रहा है. वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि कम से कम 75,000 लोगों के पास आश्रय नहीं है. इस संबंध में कोर्ट ने राज्य को सभी उपायों का पालन करने को कहा. साथ ही कोर्ट ने प्रभावित लोगों से कहा कि यदि लोगों को राहत नहीं दी जाती है तो वह अपनी शिकायत लेकर नगर निगम आयुक्त के पास जाएं. राहत न दिए जाने का कारण रिकॉर्ड में होना चाहिए ताकि अदालत इसकी जांच कर सके.
अलग-अलग नोटिस देने की मांग खारिज
कोर्ट ने विध्वंस से पहले लोगों को नोटिस देने और उन्हें शेल्टर (shleter) ले जाने की प्रार्थना को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि सामूहिक विध्वंस किया जा रहा है. चरणबद्ध तरीके से तोड़फोड़ की जा रही है ऐसे में अलग-अलग व्यक्तियों को नोटिस देना संभव नहीं है.