नई दिल्ली :उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को वाईएसआर कांग्रेस के बागी सांसद के. रघु रामकृष्ण राजू को जमानत दे दी जिन्हें आंध्र प्रदेश पुलिस ने उनके खिलाफ दर्ज राजद्रोह के मामले में गिरफ्तार किया था.
न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति बी आर गवई की एक अवकाशकालीन पीठ ने सिकंदराबाद स्थित सेना के अस्पताल से राजू की मेडिकल रिपोर्ट प्राप्त होने का उल्लेख करते कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि हिरासत में सांसद के साथ 'बुरा व्यवहार' किया गया.
शीर्ष अदालत ने राजू पर जमानत की कई शर्तें लगाईं, जिसमें यह भी शामिल है कि वह मामले के संबंध में मीडिया को कोई साक्षात्कार नहीं देंगे. न्यायालय ने गत 17 मई को सांसद राजू को मेडिकल जांच के लिए तत्काल पड़ोसी राज्य तेलंगाना के सिकंदराबाद में सेना के अस्पताल में स्थानांतरित करने और अगले आदेश तक उन्हें वहीं भर्ती रखने का आदेश दिया था.
राजू आंध्र प्रदेश के नरसापुरम संसदीय क्षेत्र से लोकसभा सांसद हैं. उन्होंने आरोप लगाया है कि राज्य पुलिस ने 'राजनीतिक प्रतिशोध के कारण' ही उनके खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया है क्योंकि वह 'अपनी ही पार्टी की कार्रवाईयों' की आलोचना करते रहे हैं.
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पीठ ने उन्हें जमानत देते हुए जांच में सहयोग करने का भी निर्देश दिया. वीडियो कांफ्रेंस के जरिए हुई सुनवाई के दौरान राजू की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि हिरासत में सांसद को 'प्रताड़ित' किया गया, जिससे उन्हें चोटें आई.
पीठ ने शुरुआत में कहा कि सेना के अस्पताल से मिली रिपोर्ट में कहा गया है कि राजू के पैर के अंगूठे में फ्रैक्चर है. रोहतगी ने दलील दी कि प्रताड़ना का उनका आरोप मेडिकल रिपोर्ट से साबित होता है. उन्होंने कहा, 'वे एक सांसद के साथ ऐसा कर रहे हैं. कृपया उन्हें जमानत दें और प्रताड़ना के मामले की सीबीआई द्वारा जांच की जानी चाहिए.'
यह दलील देते हुए कि नेता के खिलाफ राजद्रोह का कोई मामला नहीं बनता है, रोहतगी ने कहा कि राजू पार्टी के मौजूदा सांसद हैं और वह राज्य सरकार और मुख्यमंत्री के भी आलोचक रहे हैं.