नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को कहा कि एक साल से भी कम समय में दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से कूनो नेशनल पार्क (केएनपी) में लाए गए 40 प्रतिशत चीतों की मौत 'प्रोजेक्ट चीता' की 'अच्छी तस्वीर' पेश नहीं करती है. शीर्ष कोर्ट ने केंद्र सरकार को यह जांचने का सुझाव दिया कि क्या जानवरों को विभिन्न अभयारण्यों में स्थानांतरित करना संभव है.
न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने चीतों की मौत पर चिंता व्यक्त करते हुए सरकार से इसे प्रतिष्ठा का मुद्दा नहीं बनाने को कहा. शीर्ष अदालत ने सरकार से एक विस्तृत हलफनामा दायर करने को कहा, जिसमें कारण और उठाए गए उपाय के संबंध में जानकारी मांगी.
पीठ ने केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से पूछा कि मामला क्या है, माहौल उनके अनुकूल नहीं है या कुछ और है? पीठ ने कहा कि 20 चीतों में से आठ की मौत हो चुकी है और पिछले हफ्ते दो मौतें हुई.
पीठ ने कहा कि उन्हें एक ही स्थान पर रखने के बजाय, आप उनके लिए एक या अधिक रहने की जगह क्यों नहीं बना सकते, चाहे वे किसी भी राज्य या किसी भी सरकार के अधीन हों.
भाटी ने तर्क दिया कि उच्चतम स्तर पर अधिकारियों ने इन मौतों का संज्ञान लिया है. 'यह देश के लिए एक प्रतिष्ठित प्रोजेक्ट है.' भाटी ने कहा कि मौतें चिंताजनक नहीं हैं. प्रोजेक्ट के पहले वर्ष के भीतर 50 प्रतिशत तक मौतों की आशंका थी. पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि परिस्थितियां उनके अनुकूल नहीं थीं और वे कथित तौर पर सांस संबंधी समस्याओं से पीड़ित थे. बताया कि चीतों में से एक में गुर्दे की बीमारी का पता चला था.
कोर्ट ने ये दी सलाह :पीठ ने भाटी से पूछा, आप उन्हें अलग-अलग अभयारण्यों में स्थानांतरित करने की संभावना क्यों नहीं तलाशते? पीठ ने कहा कि सरकार को कुछ सकारात्मक कदम उठाने चाहिए.