नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शीर्ष न्यायालय और हाई कोर्ट के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति के बाद उनके राजनीतिक नियुक्तियां स्वीकार करने से पहले दो साल का अंतराल रखने का अनुरोध करने वाली एक याचिका बुधवार को खारिज कर दी. बता दें कि बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन ने संस्थापक अध्यक्ष और अधिवक्ता अहमद मेहदी आब्दी के माध्यम से दायर अपनी याचिका में 12 फरवरी को आंध्र प्रदेश के राज्यपाल के रूप में शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की नियुक्ति का उल्लेख किया गया था.
इस संबंध में जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धुलिया की पीठ ने कहा कि यह मुद्दा कि सेवानिवृत्त न्यायाधीश को कोई पद स्वीकार करना चाहिए या नहीं, संबद्ध न्यायाधीश के विवेक पर छोड़ देना चाहिए. साथ ही पीठ ने कहा कि यह इस मुद्दे की पड़ताल नहीं कर सकती कि क्या कोई पूर्व न्यायाधीश लोकसभा के लिए निर्वाचित हो सकता है या राज्यसभा में मनोनीत हो सकता है. पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा, 'यह मुद्दा कि एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश को कोई पद स्वीकार करना चाहिए या नहीं, संबद्ध न्यायाधीश के विवेक पर छोड़ना होगा या एक कानून लाना होगा, लेकिन संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत निर्देश देने का विषय नहीं बन सकता.'
वहीं याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि इस तरह के प्रावधान का अभाव लोगों के मन में एक गलत धारणा पैदा कर रहा. साथ ही पीठ ने वकील से पूछा, राजनीतिक नियुक्ति क्या है? पीठ ने कहा, ‘‘यह सब गंभीरता से नहीं लेने वाले विषय हैं. यह न्यायाधीश पर निर्भर है कि वह इनकार करना चाहते हैं या इनकार नहीं करते हैं.