नई दिल्ली :देश की शीर्ष अदालत ने उल्लेख किया कि 2019 के कानून को पूर्व प्रभाव से 26 सितंबर 2013 से लागू किया गया और इसका उद्देश्य उस तारीख या उसके बाद राज्य कानूनों के तहत सभी लंबित अधिग्रहणों को मान्य करना था, जिन्हें मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा रद्द कर दिया गया था.
याचिकाकर्ताओं ने न्यायालय के समक्ष दावा किया था कि राज्य विधायिका द्वारा असंवैधानिक अधिनियमों को पुनर्बहाल करने के लिये अपनाए गए विधायी तरीके उच्च न्यायालय के जुलाई 2019 के फैसले को रद्द और निष्प्रभावी बनाने के प्रत्यक्ष प्रयास थे और संवैधानिक व्यवस्था में भी इसकी इजाजत नहीं थी. क्योंकि यह शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत का उल्लंघन करता है. गौरतलब है कि उच्च न्यायालय ने तीन अधिनियमों के तहत 27 सितंबर 2013 या उसके बाद की सभी लंबित अधिग्रहण कार्यवाहियों को रद्द कर दिया था.