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SC ने चंदा कोचर की ICICI बैंक से सेवानिवृत्ति लाभ मांगने संबंधी याचिका खारिज की

By PTI

Published : Dec 8, 2023, 9:50 PM IST

आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व प्रबंध निदेशक चंदा कोचर को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है. शीर्ष कोर्ट ने बैंक से सेवानिवृत्ति लाभ मांगने वाली उनकी याचिका खारिज कर दी है. SC dismisses Chanda Kochhars plea,plea for retirement benefits from ICICI bank.

SC dismisses Chanda Kochhars plea
सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व प्रबंध निदेशक एवं सीईओ चंदा कोचर की बैंक से सेवानिवृत्ति लाभ मांगने वाली याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी.

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने कहा, 'हस्तक्षेप का मामला नहीं है. हम उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं. विशेष अनुमति याचिका खारिज की जाती है.' कोचर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि उच्च न्यायालय ने बिना किसी चर्चा या निष्कर्ष के याचिका खारिज कर दी.

पीठ ने कहा कि उसने इसमें शामिल तथ्यों को देखा है और मामले में किसी हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है. कोचर ने बंबई उच्च न्यायालय के तीन मई के आदेश को चुनौती दी थी, जिसने उनकी याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि उन्हें कोई भी अंतरिम राहत देने से बैंक को अपूरणीय क्षति होगी.

इस बीच, न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी के नेतृत्व वाली शीर्ष अदालत की एक अन्य पीठ ने कोचर की अंतरिम जमानत को चुनौती देने वाली सीबीआई की याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी. जांच एजेंसी की याचिका पर अब 11 दिसंबर को सुनवाई होगी.

आईसीआईसीआई बैंक से सेवानिवृत्ति लाभ की मांग करते हुए कोचर ने अपनी याचिका में विभिन्न दस्तावेजों और अदालत के आदेश का हवाला दिया था तथा कहा था कि बैंक द्वारा दायर वाद में प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं पाया गया.

उच्च न्यायालय की एकल न्यायाधीश पीठ ने कोचर को निर्देश दिया था कि वह 2018 में खरीदे गए 6.90 लाख रुपये की बैंक प्रतिभूतियों का सौदा न करें. याचिका में कहा गया कि बैंक पहले ही सेवानिवृत्त हो चुके किसी व्यक्ति को बर्खास्त नहीं कर सकता. उन्हें बिना शर्त दिए गए लाभों में कर्मचारी स्टॉक विकल्प शामिल थे जो 2028 तक प्रयोग योग्य थे.

ये है पूरा मामला :मई 2018 में, बैंक ने वीडियोकॉन समूह को नियमों से इतर 3,250 करोड़ रुपये का ऋण देने में उनकी कथित भूमिका के बारे में शिकायत के बाद चंदा कोचर के खिलाफ जांच शुरू की थी. इसमें चंदा के पति दीपक कोचर को फायदा पहुंचा था. इसके बाद कोचर छुट्टी पर चली गईं और बाद में समय से पहले सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन किया, जिसे स्वीकार कर लिया गया.

बैंक ने इसके बाद इसे 'संबंधित वजह के लिए बर्खास्तगी' माना था और उनकी नियुक्ति को समाप्त करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक से विनियामक अनुमोदन मांगा था क्योंकि आरबीआई अधिनियम के प्रावधानों के तहत यह जरूरी था.

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