नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने राज्यों को मोटर दुर्घटना दावा मामलों की पड़ताल करने और इन्हें निपटाने में मदद के लिए तीन महीने के भीतर थानों में विशेष इकाई गठित करने का निर्देश दिया है. शीर्ष अदालत ने कुछ निर्देश जारी करते हुए कहा कि किसी सार्वजनिक स्थान पर सड़क दुर्घटना की सूचना मिलने पर संबंधित थाना प्रभारी मोटर वाहन संशोधन अधिनियम की धारा 159 के अनुसार कदम उठाएंगे, जिसके तहत दुर्घटना सूचना रिपोर्ट पुलिस द्वारा तीन महीने के भीतर दावा न्यायाधिकरण में दायर की जानी चाहिए.
न्यायमूर्ति एस ए नज़ीर और न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी की पीठ ने कहा, 'हमारे विचार में, राज्य के गृह विभाग के प्रमुख और सभी राज्यों/केंद्रशासित क्षेत्रों में पुलिस महानिदेशक मोटर दुर्घटना दावा मामलों की पड़ताल और इन्हें निपटाने में मदद के लिए थानों में या कम से कम शहर स्तर पर एक विशेष इकाई का गठन करके नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करेंगे. उक्त कार्यवाही तीन माह की अवधि में सुनिश्चित की जाए.'
शीर्ष अदालत ने कहा कि प्राथमिकी दर्ज करने के बाद, जांच अधिकारी मोटर वाहन संशोधन नियम, 2022 के अनुसार कार्य करेगा और दावा न्यायाधिकरण को 48 घंटे के भीतर पहली दुर्घटना रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा. इसने कहा, 'वाहन के पंजीकरण, ड्राइविंग लाइसेंस, वाहन की फिटनेस, परमिट और अन्य सहायक मुद्दों को सत्यापित करने तथा दावा न्यायाधिकरण के समक्ष पुलिस अधिकारी के समन्वय में रिपोर्ट प्रस्तुत करना पंजीकरण अधिकारी का दायित्व है.'
पीठ ने हाल के एक आदेश में कहा, 'नियमों में निर्दिष्ट दस्तावेज या तो स्थानीय भाषा में या अंग्रेजी भाषा में होंगे, जैसा भी मामला हो, और नियमों के अनुसार ये उपलब्ध कराए जाएंगे.' यह उल्लेख करते हुए कि जांच अधिकारी की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है, न्यायालय ने कहा कि अधिकारी मोटर वाहन संशोधन नियमों का पालन करते हुए की गई कार्रवाई के संबंध में पीड़ित या कानूनी प्रतिनिधि, चालक, मालिक, बीमा कंपनियों और अन्य हितधारकों को सूचित करेगा.