नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने जेल में बंद सूरत के अधिवक्ता के आतंकवादी संगठन आईएसआईएस से संबंधों के आरोपों को 'गम्भीर' करार देते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया. हालांकि, मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस तथ्य का संज्ञान लिया कि आरोपी उबेद अहमद 25 अक्टूबर, 2017 से जेल में बंद है और यहां तक कि उसके खिलाफ आरोप भी तय नहीं किए गए हैं. इसके मद्देनजर न्यायालय ने एक वर्ष के भीतर ट्रायल खत्म करने का आदेश दिया है.
न्यायालय ने कहा, 'याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील और गुजरात सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलें सुनने और और रिकॉर्ड पर उपलब्ध सामग्री को ध्यान से पढ़ने के बाद, हम याचिकाकर्ता को जमानत देने के इच्छुक नहीं हैं.’’
इस पीठ में न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली भी शामिल हैं. पीठ ने अपने आदेश में कहा, 'हालांकि, याचिकाकर्ता के 25 अक्टूबर, 2017 से हिरासत में होने और मुकदमे की लंबी अवधि जैसे तथ्यों को ध्यान में रखकर हम संबंधित ट्रायल कोर्ट को मुकदमे में तेजी लाने और एक वर्ष की अवधि के भीतर इसे समाप्त करने का निर्देश देते हैं.’ न्यायालय ने ट्रायल कोर्ट को आदेश प्राप्त होने की तारीख से सप्ताह में कम से कम दो दिन सुनवाई करने एवं किसी पक्ष को अनावश्यक स्थगन दिए बिना त्वरित सुनवाई करने का निर्देश दिया है.
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