दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

SC ने अमेरिकी बच्चे के दूर के भारतीय रिश्तेदार को यकृत दान की अनुमति दी

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुग्राम के एक निजी अस्पताल में भर्ती बच्चे के लिए दूर के भारतीय रिश्तेदार को यकृत दान करने की अनुमति प्रदान कर दी है. कोर्ट ने बच्चे के जीवन बचाना प्राथमिकता दी. decompensated biliary cirrhosis, Supreme Court, senior advocate Gopal Sankarnarayanan

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट

By PTI

Published : Nov 14, 2023, 6:25 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने तीन साल के एक अमेरिकी बच्चे में यकृत प्रतिरोपण के लिए भारतीय मूल के उसके रिश्ते के एक भाई को अंगदान की अनुमति दे दी है. न्यायालय ने यह भी कहा कि इस मामले में पूरी तरह कानूनी अनिवार्यताओं पर विचार करना जरूरी नहीं लगता. उसने यह भी कहा कि इस मामले में उसके फैसले को किसी अन्य मामले में मिसाल के तौर पर नहीं लिया जाएगा. शीर्ष अदालत ने 'डिकम्पनसेटिड बाइलियरी सिरोसिस' (डीबीसी) के उपचार के लिए गुरुग्राम के एक निजी अस्पताल में भर्ती बच्चे का जीवन बचाने को प्राथमिकता दी.

डीबीसी यकृत के काम नहीं करने पर पैदा होने वाली स्थिति है जिसमें रोगी को केवल प्रतिरोपण से ही बचाया जा सकता है. न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ को मानव अंग और ऊतक प्रतिरोपण अधिनियम की धारा 9 के रूप में एक कानूनी चुनौती से निपटना था जो बच्चे को उसके दूर के भारतीय रिश्तेदार द्वारा यकृत दान करने के रास्ते में आड़े आ रही थी.

कानून की उक्त धारा ऐसे मामलों में अंगदान पर रोक लगाती है जहां प्राप्तकर्ता विदेशी हो और अंगदान करने वाला उसका करीबी रिश्तेदार नहीं हो. करीबी रिश्तेदारों में पति-पत्नी, बेटा, बेटी, पिता, माता, भाई, बहन, दादा-दादी, नाना-नानी, नाती या नातिन और पौत्र या पौत्री आते हैं. चचेरे या अन्य दूर के रिश्ते वाले भाई-बहनों को इसमें शामिल नहीं किया जाता. शीर्ष अदालत ने अंग प्राप्त करने वाले और अंगदान करने वाले याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन तथा वकील नेहा राठी की दलीलों पर संज्ञान लिया.

पीठ ने नौ नवंबर के अपने आदेश में मामले के विवरण पर और उक्त कानून के तहत काम करने वाली समिति की रिपोर्ट पर संज्ञान लिया था. यह समिति अंगदान करने वाले और प्राप्त करने वाले मरीज द्वारा वैधानिक आवश्यकताओं को पूरा करने की स्थिति में अंगदान की मंजूरी देती है. शीर्ष अदालत ने इस बात पर गौर किया कि बच्चे को उसकी खराब होती सेहत को देखते हुए तत्काल यकृत प्रतिरोपण की जरूरत है. इस मामले में बच्चे के माता-पिता के अंगदान के लिए उपयुक्त नहीं पाये जाने पर रिश्ते के भाई ने अंगदान की पेशकश की थी लेकिन उक्त कानून की धारा 9 आड़े आ रही थी.

ये भी पढ़ें - समय पूर्व रिहाई के मामले में दोषी साबित किये जाने की तारीख पर प्रभावी नीति लागू होगी: सुप्रीम कोर्ट

ABOUT THE AUTHOR

...view details