नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) को मंगलवार को निर्देश दिया कि उसे डिस्ग्राफिया से पीड़ित एक दिव्यांग छात्रा के साथ हुए अन्याय को ठीक करने के लिए एक सप्ताह के भीतर कदम उठाने पर विचार करना चाहिए. उक्त छात्रा राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET)- यूजी परीक्षा में एक घंटे का प्रतिपूरक अतिरिक्त समय नहीं दिया गया और उसकी उत्तर पुस्तिका को जबरदस्ती छीन लिया गया था.
डिस्ग्राफिया से पीड़ित व्यक्ति को लिखने में दिक्कत होती है. शीर्ष अदालत ने कहा कि कानून के तहत निर्धारित अधिकारों को प्रदान करने से गलत तरीके से इनकार किए जाने से हुए व्यक्तिगत अन्याय को इस आधार पर भुलाया नहीं जा सकता है कि ये एक प्रतियोगी परीक्षा का एक आवश्यक परिणाम है.
न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना की पीठ ने हालांकि, नीट (यूजी) की पुन: परीक्षा आयोजित करने के संबंध में छात्रा को राहत प्रदान करने से इनकार कर दिया. छात्रा जांच में 40 प्रतिशत स्थायी विकलांगता से पीड़ित पाई गई है.
पीठ ने कहा, 'अपीलकर्ता को बिना उसकी किसी गलती के नीट परीक्षा में बैठने के दौरान एक घंटे के प्रतिपूरक समय से गलत तरीके से वंचित किया गया, जबकि वह दिव्यांग व्यक्ति और 'बेंचमार्क डिसैबिलिटी' वाले एक व्यक्ति (पीडब्ल्यूबीडी) के तौर पर वह इसके लिए पात्र थी. तदनुसार, प्रथम प्रतिवादी (एनटीए) को यह विचार करने का निर्देश दिया जाता है कि एक सप्ताह की अवधि के भीतर अन्याय को दूर करने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं. इसके अलावा, यह डीजीएचएस को सूचित करते हुए आवश्यक परिणामी उपाय करेगा.'