नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली के पूर्व मंत्री एवं धन शोधन के एक मामले में आरोपी सत्येंद्र कुमार जैन से कहा कि वह शीर्ष न्यायालय में लंबित कार्यवाही का इस्तेमाल निचली अदालत में मामले की सुनवाई में देरी कराने के लिए ना करें.
न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने जैन की अंतरिम जमानत नौ अक्टूबर तक बढ़ाते हुए यह टिप्पणी की. इससे पहले, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शिकायत की कि जैन निचली अदालत में बार-बार स्थगन का अनुरोध कर रहे हैं.
पीठ ने कहा, 'यह स्पष्ट किया जाता है कि इस न्यायालय के समक्ष लंबित कार्यवाहियों या किसी भी कारण का इस्तेमाल बहाने के रूप में या निचली अदालत में कार्यवाहियां टालने के लिए नहीं किया जाए, लेकिन याचिकाकर्ता तत्परता से निचली अदालत की कार्यवाहियों में शामिल होंगे और मामले को आगे बढ़ने देंगे.'
सुनवाई की शुरुआत में, जैन के लिए पेश हुए एक वकील ने मामले में संक्षिप्त स्थगन का अनुरोध करते हुए कहा कि पूर्व मंत्री का आमतौर पर प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी अनुपलब्ध हैं.
प्रवर्तन निदेशालय की ओर से पेश हुए अतिरिक्ति सॉलिसीटर जनरल एस वी राजू ने इस अनुरोध का विरोध नहीं किया, लेकिन कहा कि जैन निचली अदालत में सुनवाई में देर कराने के लिए कार्यवाहियों पर बार-बार रोक लगाने की मांग कर रहे हैं.
निचली अदालत में और स्थगन का अनुरोध नहीं करने का जैन को आदेश देने का आग्रह करते हुए राजू ने दलील दी, 'आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 207 के तहत दस्तावेज हासिल करने के लिए निचली अदालत में लगभग 16 तारीख ली गई. वे स्थगन ले रहे हैं और सुनवाई के साथ कार्यवाही आगे नहीं बढ़ा रहे हैं. वे एक के बाद एक अर्जियां दायर कर कर रहे हैं, जो तुच्छ हैं.'