नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को केंद्र से कहा कि वह अरुण गोयल की चुनाव आयुक्त के रूप में हाल ही में हुई नियुक्ति से संबंधित फाइलों को देखना चाहता है और इस बात पर जोर दिया कि वह यह देखना चाहता है कि किस क्रियाविधि से उनकी नियुक्ति की गई और इसे (फाइलें) पेश करने में कोई खतरा नहीं है. याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने गोयल की नियुक्ति के संबंध में मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि गोयल मौजूदा सचिव हैं, उन्हें शुक्रवार को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति दी गई थी, नियुक्ति शनिवार को जारी की गई थी और सोमवार को उन्होंने चुनाव आयुक्त के रूप में काम करना शुरू किया.
भूषण ने कहा कि उन्होंने नियुक्ति के संबंध में अर्जी दी थी और अदालत इस मामले की सुनवाई कर रही थी, फिर भी सरकार ने नियुक्ति कर दी. यह इंगित करते हुए कि केंद्र ने किसी को एक ही दिन में नियुक्त किया है, उन्होंने पूछा कि उन्होंने किस प्रक्रिया का पालन किया है और सुरक्षा उपाय क्या हैं ?
न्यायमूर्ति के.एम.जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि अदालत ने गुरुवार को मामले की सुनवाई की और भूषण ने कहा कि रिक्ति के संबंध में हस्तक्षेप आवेदन दिया है और केंद्र ने एक व्यक्ति को चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त किया है. जस्टिस जोसेफ ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से कहा, इस अधिकारी की नियुक्ति की फाइलें पेश करें.. आप कहते हैं कि इसमें कोई लच्छेदार बात नहीं है. क्या उन्हें स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के आधार पर नियुक्त किया गया..उनकी नियुक्ति कैसे हुई, किस तंत्र (क्रिया) से उन्हें नियुक्त किया गया..मामले की सुनवाई हो रही है.
उन्होंने एजी से कहा कि अगर कोई अवैधता नहीं है तो आपको डरना नहीं चाहिए और अगर सब कुछ सुचारू रूप से चल रहा है, तो हमें फाइल दिखाएं. एजी ने कहा मुझे नहीं लगता कि हमें इतनी दूर की सोचनी चाहिए या ऐसा करना चाहिए, न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा कि अदालत नियुक्ति पर फैसला नहीं देगी और हम उस फाइल को देखना चाहते हैं, जब तक कि आप कुछ विशेषाधिकार का दावा नहीं करते.. हम चाहते हैं देखें कि चीजें कैसे काम करती हैं.
शीर्ष अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि नियुक्ति का आदेश गुरुवार को मामले की सुनवाई शुरू होने के बाद दिया गया था और भूषण ने रिक्ति से संबंधित एक आवेदन दायर किया था. एजी ने कहा कि उन्हें आपत्ति है कि इस एकाकी उदाहरण का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता, मामला एक बड़े सवाल से जुड़ा है. इस पर जस्टिस जोसेफ ने कहा कि यह हमारे कर्तव्य से जुड़ी जिज्ञासा है...