नई दिल्ली : मणिपुर में जानमाल का भारी नुकसान होने पर चिंता जताते हुए उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने सोमवार को केंद्र और पूर्वोत्तर के इस राज्य को वहां जातीय हिंसा से प्रभावित हुए लोगों को राहत सहायता मुहैया करने तथा उनके पुनर्वास के लिए आवश्यक कदम उठाने को कहा. साथ ही, न्यायालय ने उपासना स्थलों की सुरक्षा करने का भी निर्देश दिया, जिनमें से कई को हिंसा के दौरान निशाना बनाया गया है.
स्थिति से निपटने के लिए उठाए गए कदमों को गिनाते हुए केंद्र ने प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा कि बीते दो दिनों में मणिपुर में कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है और स्थिति क्रमिक रूप से सामान्य होती जा रही है.
मणिपुर के पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासियों और इंफाल घाटी में रहने वाले बहुसंख्यक मेइती समुदाय के लोगों के बीच हिंसक झड़पों में अब तक 50 से अधिक लोग मारे गए हैं. मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की उसकी मांग को लेकर यह हिंसा भड़की थी. 23,000 से अधिक लोगों को सुरक्षित निकाला गया और उन्होंने सैन्य छावनियों तथा राहत शिविरों में शरण ले रखी है.
पीठ ने हिंसा के बाद की स्थिति को मानवीय समस्या करार देते हुए कहा कि राहत शिविरों में उपयुक्त इंतजाम किए जाएं और वहां शरण लेने वाले लोगों को भोजन, राशन तथा चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करायी जाएं. पीठ में न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला भी शामिल हैं.
शीर्ष न्यायालय ने कहा, 'हम लोगों के जान गंवाने, संपत्ति को नुकसान पहुंचने को लेकर बहुत चिंतित हैं...' पीठ ने अपनी चिंता जताते हुए कहा कि उसे कार्रवाई के लिए इसे सरकार के जिम्मे छोड़ देना चाहिए.... न्यायालय ने कहा कि स्थिति से निपटने के लिए सरकार जो कुछ कर रही है उसमें संदेह करने का कोई कारण नहीं है.
न्यायालय ने निर्देश दिया कि विस्थापित लोगों के पुनर्वास के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएं और उपासना स्थलों की सुरक्षा के लिए हरसंभव प्रयास किए जाएं.
केंद्र और राज्य की ओर से न्यायालय में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हिंसा से निपटने के लिए उठाए गए कदमों से पीठ को अवगत कराया. उन्होंने बताया कि सेना/असम राइफल्स की 105 टुकड़ियों के अलावा केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की 52 कंपनियां हिंसा प्रभावित इलाकों में तैनात की गई हैं.
उन्होंने न्यायालय को बताया कि अशांत इलाकों में 'फ्लैग मार्च' किया जा रहा और शांति कायम करने के लिए बैठकें की गई हैं. मेहता ने बताया कि राज्य सरकार ने पुलिस के एक पूर्व वरिष्ठ अधिकारी को सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया है और केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गये एक अन्य शीर्ष अधिकारी को मणिपुर में मुख्य सचिव के तौर पर सेवा देने के लिए रविवार को वापस बुलाया गया. उन्होंने कहा कि स्थिति की लगातार निगरानी की जा रही है और इसके लिए हेलीकॉप्टर तथा ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है.
मेहता ने कहा कि विस्थापितों के लिए राहत शिविर संचालित किए जा रहे हैं और सुरक्षा बल फंसे हुए लोगों की आवाजाही में सहायता कर रहे हैं. सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि बीते दो दिनों में कोई हिंसा नहीं हुई और क्रमिक रूप से स्थिति सामान्य होती जा रही है. रविवार और आज सोमवार को कुछ घंटों के लिए कर्फ्यू में ढील दी गई.
मेहता ने कहा, 'हर चीज को शांत होने दीजिए. मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि व्यापक हित में इस विषय को एक हफ्ते या 10 दिन बाद के लिए निर्धारित कर दिया जाए और हम देखेंगे कि क्या होता है.'