नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को सीबीआई से पूछा कि क्या तर्कवादी नरेंद्र दाभोलकर, भाकपा नेता गोविंद पानसरे, कार्यकर्ता-पत्रकार गौरी लंकेश और विद्वान एम.एम. कलबुर्गी की हत्याओं में कोई 'समान बात' थी.
अंधविश्वास के खिलाफ आवाज उठाने वाले दाभोलकर की 20 अगस्त, 2013 को पुणे में सुबह की सैर के दौरान दो मोटरसाइकिल सवार हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. पानसरे की हत्या 20 फरवरी, 2015 को हुई थी, जबकि लंकेश की हत्या पांच सितंबर, 2017 को हुई थी. कलबुर्गी की 30 अगस्त, 2015 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने नरेंद्र दाभोलकर की बेटी मुक्ता दाभोलकर की याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से यह सवाल किया, जिसमें उन्होंने अपने पिता की हत्या की जांच की निगरानी जारी रखने से इनकार करने के बंबई उच्च न्यायालय के इस साल 18 अप्रैल के आदेश को चुनौती दी है.
मुक्ता दाभोलकर की ओर से पेश वरिष्ठ वकील आनंद ग्रोवर ने पीठ से कहा कि चार हत्याओं के पीछे एक बड़ी साजिश थी. उन्होंने कहा कि उपलब्ध सबूतों से संकेत मिलता है कि ये मामले जुड़े हो सकते हैं और मुक्ता दाभोलकर ने उच्च न्यायालय के समक्ष यह मुद्दा उठाया था.
न्यायमूर्ति धूलिया ने सीबीआई की ओर से पेश हुईं अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी से पूछा, 'जो आरोपी मुकदमे का सामना कर रहे हैं (दाभोलकर मामले में), आपके अनुसार, उन चार हत्याओं में कोई समान सूत्र नहीं है? ठीक है? आप यही कह रहे हैं?'
न्यायमूर्ति कौल ने कहा, 'हम यही जानना चाहते हैं' और सीबीआई से कहा, 'कृपया इस पर गौर करें.' जैसे ही ग्रोवर ने मामले से जुड़े मुद्दों पर बहस शुरू की, पीठ ने उनसे कहा कि उच्च न्यायालय ने कहा है कि दाभोलकर हत्या मामले में मुकदमा चल रहा है और कुछ गवाहों से पहले ही पूछताछ की जा चुकी है.