नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से तेलंगाना सरकार द्वारा दायर उस याचिका पर निर्देश लेने को कहा, जिसमें राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन को विधानसभा द्वारा पारित दस विधेयकों को पारित करने का निर्देश देने की मांग की गई है, जिन पर उनकी सहमति का इंतजार है. मेहता ने प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष कहा कि कोर्ट इस मामले में नोटिस जारी न करे और वह निर्देश लेंगे.
उन्होंने कहा, "संभव है कि कुछ बिल कुछ महीने पहले मिले हों." इस पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा, "हम राज्यपाल को नोटिस जारी नहीं कर रहे हैं. हम भारतीय संघ को नोटिस जारी कर रहे हैं." मेहता ने कहा कि यह आवश्यक नहीं हो सकता, क्योंकि वह अदालत के समक्ष हैं और उन्होंने कहा कि याचिका की एक प्रति उन्हें दी जाए और दोहराया, "आपका आधिपत्य नोटिस जारी नहीं कर सकता."
पीठ में शामिल जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जे.बी. पारदीवाला ने स्पष्ट किया कि वह राज्यपाल और प्रतिवादी संख्या 2 को नोटिस जारी नहीं कर रहा है, जो कि भारत का संघ है. मेहता ने फिर जोर देकर कहा कि मामले में नोटिस जारी नहीं किया जा सकता. तेलंगाना सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि अदालत सॉलिसिटर जनरल की उपस्थिति दर्ज कर सकती है और उन्हें कोई समस्या नहीं है. दलीलें सुनने के बाद पीठ ने मेहता की दलील को स्वीकार कर लिया और मामले की अगली सुनवाई अगले सोमवार को होनी तय की.
14 मार्च को दवे ने तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष यह कहते हुए मामले का उल्लेख किया कि कई विधेयक अटके हुए हैं. मामले की सुनवाई 20 मार्च को निर्धारित की गई थी. इस महीने की शुरुआत में तेलंगाना सरकार ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें राज्य विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी देने के लिए राज्यपाल को निर्देश देने की मांग की गई थी.