नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने अंतर-धर्म विवाह के कारण होने वाले धर्मांतरण रोकने के लिए बनाए गए कानूनों को चुनौती देने वाली याचिका में हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश को पक्षकार बनाने की एक गैर सरकारी संगठन को अनुमति दी.
प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने देश में इन कानूनों के इस्तेमाल से अधिकतर मुसलमानों को उत्पीड़ित किए जाने के आधार पर मुस्लिम संगठन जमीअत उलेमा-ए-हिन्द को भी पक्षकार बनने की अनुमति दी.
उच्चतम न्यायालय छह जनवरी को उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में विवाह के लिए धर्मांतरण रोकने के लिए बनाए गए कानूनों पर गौर करने के लिए राजी हो गया था.