अयोध्या: मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की पावन जन्मस्थली अयोध्या में इन दिनों उत्सव सा माहौल है. रामनगरी में इन दिनों सावन झूला मेला की धूम है.नाग पंचमी के पर्व के मौके पर अयोध्या के मंदिरों में पड़े झूलों पर विराजमान युगल सरकार की झांकी बरबस ही श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित कर रही है. प्रतिदिन युगल सरकार की सेवा में देर शाम अयोध्या के मंदिरों के प्रांगण में गायन, वादन व नृत्य की त्रिवेणी बह रही है. इस महारास उत्सव में शामिल होने के लिए देश दुनिया भर से भक्त अयोध्या पहुंच रहे हैं.
ये है मान्यता
सावन झूला मेला उत्सव मनाने की परंपरा बेहद प्राचीन है. श्री राम जन्मभूमि में विराजमान रामलला सरकार के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान राम लाल के प्राकट्य के बाद जब रामलला सरकार 4 महीने के हो गए थे तब सावन का महीना आया था और मां कौशल्या सहित तीनों माताओं ने रामलला सरकार सहित चारों भाइयों को झूले पर झुलाया था और उन्हें कजरी गीत सुनाया था. तभी से यह परंपरा चली आ रही है. प्रत्येक वर्ष सावन के महीने में अयोध्या के विभिन्न मठों व मंदिरों में यह पर्व मनाया जाता है. इसमें प्रतिदिन युगल सरकार भगवान को विभिन्न सुंदर वस्त्र पहनकर झूले पर विराजमान किया जाता है और उन्हें झूला झुलाया जाता है. राम जन्मभूमि सहित अयोध्या के सभी मंदिरों में यहां परंपरा सदियों से चली आ रही है.
मंदिरों के आंगन में गूंज रहे कजरी और बधाई गीत
अपने आराध्य की सेवा में मनाए जाने वाला सावन झूला का यह उत्सव रामनगरी की बेहद पुरानी परंपरा रही है. सदियों से सावन के महीने में नाग पंचमी के पर्व से लेकर सावन पूर्णिमा तक मंदिरों में झूले डालकर युगल सरकार को न सिर्फ झूला झुलाया जाता हैबल्कि कजरी के पद गाकर युगल सरकार का मनोरंजन भी किया जाता है.अयोध्या के लगभग 5000 से अधिक छोटे-बड़े मंदिरों में सावन झूला मेला उत्सव मनाया जा रहा है.जहां रोजाना विभिन्न प्रकार के गीत संगीत, कजरी बधाई गीत से भगवान की सेवा पूजा की जा रही है. इस उत्सव में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु धर्म नगरी अयोध्या पहुंचे हैं.
5000 मंदिरों में मनाया जा रहा है यह उत्सव
धर्मनगरी में तो वैसे 5000 से अधिक छोटे-बड़े मंदिर हैं लेकिन प्रमुख रूप से श्री राम जन्मभूमि, कनक भवन, राजा दशरथ जी के महल, अशर्फी भवन, राम वल्लभा कुंज, दिव्या कला कुंज, विअहुति भवन, रंग महल, जानकी महल, राज सदन, रूप कला कुंज, मणिराम दास जी की छावनी जैसे प्रमुख मंदिरों में इस उत्सव की आभा देखते ही बन रही है.