नई दिल्ली : केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक (SatyaPal Malik) द्वारा लगाए गए आरोपों के आधार पर अप्रैल में जम्मू कश्मीर में दर्ज भ्रष्टाचार के दो मामलों के संबंध में पूछताछ की है. यह जानकारी अधिकारियों ने दी. अधिकारियों ने कहा कि सीबीआई टीम ने इस सप्ताह की शुरुआत में उनकी टिप्पणियों का विवरण लिया. उन्होंने बताया कि मलिक का राज्यपाल के रूप में पांच साल का कार्यकाल चार अक्टूबर को समाप्त होने के बाद उनसे पूछताछ की गई.
मलिक को 2017 में बिहार के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया था, जिसके बाद उन्हें 2018 में जम्मू कश्मीर भेज दिया गया था. अगस्त 2019 में मलिक के रहते ही जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान रद्द कर दिए गए थे. मलिक ने किसान आंदोलन के दौरान केंद्र की आलोचना करते हुए बयान जारी किए थे. मलिक को मेघालय भेज दिया गया था, जहां उनका पांच साल का कार्यकाल इस महीने समाप्त हुआ.
मलिक ने दावा किया था कि उन्हें 23 अगस्त, 2018 से 30 अक्टूबर, 2019 के बीच जम्मू कश्मीर के राज्यपाल के तौर पर उनके कार्यकाल के दौरान दो फाइल को मंजूरी देने के लिए 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी. उन्होंने कहा था, 'कश्मीर जाने के बाद, दो फाइल मेरे पास (मंजूरी के लिए) आयीं, इसमें से एक अंबानी की थी और दूसरी आरएसएस (RSS) से जुड़े एक व्यक्ति की, जो महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार में मंत्री थे और प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) के बहुत करीब होने का दावा करते थे.'
मलिक ने पिछले साल अक्टूबर में राजस्थान के झुंझुनू में एक सभा में कहा था, 'मुझे दोनों विभागों के सचिवों द्वारा सूचित किया गया था कि यह एक घोटाला है और मैंने तदनुसार दोनों सौदे रद्द कर दिए. सचिवों ने मुझसे कहा था कि 'आपको प्रत्येक फाइल को मंजूर करने के लिए 150 करोड़ रुपये मिलेंगे', लेकिन मैंने उनसे कहा कि मैं पांच कुर्ता-पायजामा लेकर आया हूं और उसी के साथ जाऊंगा.'
इस साल अप्रैल में, सीबीआई ने मलिक द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों के संबंध में दो प्राथमिकी दर्ज कीं, जिसमें सरकारी कर्मचारियों के लिए एक सामूहिक चिकित्सा बीमा योजना और पूर्ववर्ती राज्य में किरू जलविद्युत परियोजना से संबंधित 2,200 करोड़ रुपये के सिविल कार्य के लिए ठेके प्रदान करने से संबंधित थी. केंद्रीय एजेंसी ने जम्मू कश्मीर सरकार के कर्मचारियों के लिए उस विवादास्पद स्वास्थ्य बीमा योजना से संबंधित अपनी प्राथमिकी में रिलायंस जनरल इंश्योरेंस और ट्रिनिटी री-इंश्योरेंस ब्रोकर्स लिमिटेड को आरोपी बनाया है, जिसे मलिक ने 31 अगस्त, 2018 को राज्य प्रशासनिक परिषद की बैठक में कथित तौर पर मंजूरी दी थी.