भोपाल।सतपुड़ा भवन में लगी आग के बाद हाई राइज बिल्डिंग में अग्नि सुरक्षा के इंतजामों की पोल खोल कर रख दी है. जिसके बाद हाई राइज बिल्डिंग में अग्नि सुरक्षा की अनदेखी सामने आ रही हैं. स्मार्ट सिटी का रूट लेने जा रहा भोपाल फायर सुरक्षा के मामले में अभी भी कई बड़े शहरों से पीछे है. जिसका एक कारण यहां बड़ी इमारत में फायर सेफ्टी की सुरक्षा पहुंचाने में नगर निगम असमर्थ है. बात नगर निगम के संसाधनों की होगी लेकिन उसके पहले आपको बताते हैं कि जब ETV Bharat की टीम ने भी कई हाई राइज बिल्डिंग का निरीक्षण किया तो देखा यहां लगने वाले फायर सेफ्टी फीचर्स या तो बंद पड़े हैं या खराब हो गए हैं. ऐसे में एक बड़ी इमारतों पर अगर आग लगती है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा, क्योंकि आग लगने के बाद इन इमारतों तक फायर ब्रिगेड के माध्यम से पानी पहुंचाने में नगर निगम असमर्थ है. ऐसे में यहां रहने वालों के जहन में भी असुरक्षा का भाव है और इन्हें भी अब सतपुड़ा की आग के बाद डर सता रहा है. वहीं भोपाल के बड़े टावर में शुमार तुलसी टावर में फायर इक्विपमेंट ही बंद पड़े हैं.
गगनचुंबी इमारतें दमकल की पहुंच से दूर: नगर निगम भोपाल के पास 50 फीट से अधिक ऊंची बिल्डिंग तक पहुंचने के लिए पर्याप्त संसाधन ही नहीं हैं. राजधानी भोपाल में कई हाई राइज बिल्डिंग बनकर तैयार है जिनकी ऊंचाई 30 मीटर से अधिक है. नगर निगम की भवन अनुज्ञा शाखा के अधिकारियों ने बताया की 30 मीटर से अधिक ऊंची बिल्डिंग को नगर निगम हाई राइज बिल्डिंग की श्रेणी में रखता है. भोपाल में होशंगाबाद रोड ,रायसेन रोड और कोलार में इस तरह की बड़ी-बड़ी बिल्डिंगों का निर्माण हो चुका है. वही प्लेटिनम प्लाजा, पंचानन भवन, अन्नपूर्णा कंपलेक्स, गैमन इंडिया और विजय स्तंभ जैसी बड़ी इमारत है लेकिन इनके ऊपरी तलों तक आग लग जाए तो यहां पहुंचने के लिए नगर निगम के पास हाइड्रोलिक प्लेटफार्म तक नहीं है.
हाइड्रोलिक प्लेटफार्म खा रहा धूल: भोपाल नगर निगम पिछले साल ही 5.50 करोड़ की लागत से नया हाइड्रोलिक प्लेटफार्म खरीदा है, जो 170 फीट ऊंचाई यानी 52 मीटर तक फायर कर्मियों को पहुंचाने में सक्षम होता है लेकिन सतपुड़ा की आग के दौरान यह फायरफाइटर बाहर रोड पर ही खड़ा रहा. दरअसल आरटीओ में पंजीयन नहीं होने क कारन ये ऑनरोड नहीं हो सका है. इसके साथ ही इस को चलाने के लिए कुशल कर्मचारी भी नहीं हैं. ऐसे में 5.50 करोड़ रुपए की लागत नगर निगम ने खर्च तो कर दी है लेकिन इस हाइड्रोलिक प्लेटफार्म का उपयोग नहीं हो रहा है. जिसको लेकर कांग्रेस भी बीजेपी पर निशाना साध रही है. कांग्रेस पार्षद प्रवीण सक्सेना का कहना है कि सिर्फ पैसे की बंदरबांट करने के लिए इस तरह के सामान खरीद लिए जाते हैं. लेकिन जब सतपुड़ा जैसे भवन में आग लगती है, तो यह महज शोपीस बनकर रह जाते हैं. ऐसे में इसको खरीदने वाले नगर निगम के फायर ऑफिसर पर भी कार्रवाई होनी चाहिए.